अस्पताल की दहलीज पर दर्द से कराहती रही गर्भवती
तमाम दावों के बावजूद सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं ढर्रे पर नहीं आ पा रही हैं। गुरुवार को राजकीय महिला अस्पताल की दहलीज पर एक गर्भवती दर्द से कराहती रही लेकिन जिम्मेदारों को उस पर तरस नहीं आया।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: तमाम दावों के बावजूद सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं ढर्रे पर नहीं आ पा रही हैं। गुरुवार को राजकीय महिला अस्पताल की दहलीज पर एक गर्भवती दर्द से कराहती रही, लेकिन जिम्मेदारों को उस पर तरस नहीं आया। अस्पताल में भर्ती करने के बजाय आधार कार्ड जैसी औपचारिकता बताकर उसे उसके हाल पर छोड़ दिया गया। बाद में एक महिला नेता के हस्तक्षेप पर गर्भवती महिला को अस्पताल में भर्ती किया गया।
राज्य गठन के दो दशक बाद भी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होता नहीं दिख रहा है। तमाम सरकारी अस्पताल केवल रेफर सेंटर बनकर रह गए हैं। अस्पतालों की दहलीज पर दर्द से कराहते मरीज को एक अदद बेड नसीब नहीं हो रहा है। गुरुवार को राजकीय महिला अस्पताल के गेट पर आरती नाम की एक गर्भवती महिला दर्द से कराहती रही, लेकिन उसे भर्ती नहीं किया जा रहा था। इस बीच आशाओं के धरने को समर्थन देने पहुंची आप नेता हेमा भंडारी की नजर उस पर पड़ी। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से उसे भर्ती करने की गुहार लगाई। इस पर आधार कार्ड जैसी औपचारिकताएं बताकर अस्पताल प्रबंधन भर्ती करने में आनाकानी करता रहा। बहरहाल आप नेता के हो हंगामे पर गर्भवती महिला को अस्पताल में भर्ती कर इलाज शुरू किया गया। लेकिन, इस घटना ने बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के सरकारी दावे की कलई खोलकर रख दी है। इधर, अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. राजेश गुप्ता ने बताया कि महिला का पति उसे अस्पताल गेट पर छोड़ गया था। महिला एनीमिया से ग्रसित है। उसका हीमोग्लोबिन स्तर दो ग्राम के आसपास है। निश्शुल्क खून चढ़ाने और अल्ट्रासाउंड के लिए आधार कार्ड की जरूरत होती है, लेकिन भर्ती करने के लिए आधार कार्ड की जरूरत नहीं पड़ती है। महिला को भर्ती कर खून चढ़ाया जा रहा है। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के चलते उसे रेफर किया जा सकता है।