धरा की शोभा बढ़ाने को करें पौधारोपण

विश्व पर्यावरण दिवस पर कुछ व्यक्तियों ने पूरा जोश दिखाया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 06 Jun 2021 11:24 PM (IST) Updated:Sun, 06 Jun 2021 11:24 PM (IST)
धरा की शोभा बढ़ाने को करें पौधारोपण
धरा की शोभा बढ़ाने को करें पौधारोपण

जागरण संवाददाता, रुड़की : विश्व पर्यावरण दिवस पर कुछ व्यक्तियों ने पूरा जोश दिखाया। खूब पौधे रोपे, फोटो कराई और अगले दिन उत्साह गायब। कुछ जगह तो पौधे भी गायब हो गए। रस्मी तौर पर कार्यक्रम संपन्न हो गया है। इस तरह के आयोजन को समाज की जागरूक महिलाएं अच्छा नहीं मानती हैं। उनका कहना है कि भले ही कम पौधे रोपे। लेकिन, सार्वजनिक या ऐसे स्थान पर वट वृक्ष, पीपल, आम, नीम आदि के पौधे रोपे जाए, जहां पर वह सालों साल खड़े रहे सकें। छाया एवं हवा दे सकें। ऐसे पौधों के घर के लॉन, गमलों से बाहर लाना होगा। गमलों के बजाय धरा की सुंदरता को बढ़ाना होगा। पेड़ पौधे रहेंगे तो ही आगे जीवन जी पाएंगे। वैश्विक महामारी कोरोना ने सबको बता दिया है कि जो प्रकृति के साथ है वहीं आगे बढ़ रहा है। पेड़-पौधों के महत्व को बता दिया है। कोरोना की दूसरी लहर ने बता दिया कि आक्सीजन का क्या महत्व है। पीपल, बरगद और आम की याद आने लगी है। इसलिए पेड़-पौधों का संरक्षण जरूरी है। पेड़ों का संरक्षण कर इस धरा को बचाने का काम किया जाए, अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब प्राणों पर बड़ा संकट आ जाएगा।

अंजलि गर्ग, सचिव इनर व्हील क्लब रुड़की

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पौधारोपण अभियान को केवल एक दिन तक सीमित ना रखा जाए। नए पौधे लगाने के साथ ही पुराने पौधों का संरक्षण जरूरी है। विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर पीपल, बरगद, आम, नीम के पेड़ों को रोपे जाने की आवश्यकता है। आज पेड़ों की कमी की वजह से जहां जीव-जंतुओं पर असर पड़ रहा है, वहीं मानव का जीवन भी संकट में पड़ने लगा है।

वीना सिंह, पूर्व अध्यक्ष भारत विकास परिषद रुड़की आज पौधारोपण अभियान एक फैशन बन गया है। दो दिन से इंटरनेट मीडिया पर पौधारोपण को लेकर तमाम तरह की पोस्ट डाली जा रही है। इंटरनेट से आक्सीजन मिलने वाली नहीं है। पर्यावरण को बचना है तो धरातल पर काम करना होगा। ऐसे पौधे लगाने होंगे जो कि सालोंसाल खड़े रहे। आक्सीजन, छाया देते रहें। सभी को मिलकर इस दिशा में सार्थक कदम उठाने होंगे।

साक्षी गौतम, रुड़की एक समय वट वृक्ष काफी संख्या में थे। विकास की अंधी दौड़ में वट वृक्ष लगातार समाप्त होते चले गए और वर्तमान में रुड़की शहर में ही गिने-चुने पेड़ खड़े है। जबकि दिखावे के लिए तमाम तरह के अभियान संचालित हो रहे हैं। सभी को जीवन बचाने के लिए अब अच्छे पेड़ लगाने होंगे। कोरोना संक्रमणकाल में सभी को इस बात का आभास अच्छी तरह से हो गया है।

डॉ. अर्चना चौहान, रुड़की

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