ध्वस्त भवन के ध्वस्तीकरण के जारी किए आदेश
हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन होने के बावजूद नगर पालिका कार्यालय के पुराने भवन को ध्वस्त किए जाने और गड़बड़ी के मामले में अब पालिका प्रशासन लीपापोती में जुट गया है।
संवाद सूत्र, लक्सर : हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन होने के बावजूद नगर पालिका कार्यालय के पुराने भवन को ध्वस्त किए जाने और गड़बड़ी के मामले में अब पालिका प्रशासन लीपापोती में जुट गया है। मामला उजागर होने के बाद अब पालिका प्रशासन की ओर से विभाग के जेई को खंडहर भवन को ध्वस्त किए जाने के लिखित आदेश जारी किए गए हैं, जबकि एक सप्ताह पहले ही भवन को ध्वस्त करने के साथ इसका मलबा इधर-उधर किया जा चुका है।
बीते मंगलवार को तहसील दिवस पर नगर पालिका के सभी सभासदों की ओर से जिलाधिकारी को लिखित शिकायत कर बताया गया था कि नगर में तालाब की भूमि पर बने भवनों का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। साथ ही तहसील में भी इस पर वाद लंबित है। इसमें नगर पालिका का पुराना कार्यालय भी शामिल है, बावजूद इसके नियमों को ताक पर रखकर बिना किसी टेंडर आदि के पुराने भवन को ध्वस्त करा दिया गया। सभासदों ने भवन के मलबे को खुर्द-बुर्द किए जाने का आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी से जांच कराकर कार्रवाई किए जाने की मांग की। अनियमितता उजागर होने के बाद अब पालिका प्रशासन मामले की लीपापोती में जुट गया है। नगर पालिका के ईओ बलविद्र सिंह की ओर से अब एक पत्र विभाग के जेई को दिया गया है। इसमें पुराने कार्यालय के खंडहर भवन को ध्वस्त कराने और मलबे को निकाय की भूमि पर डलवाने के आदेश दिए गए हैं। दिलचस्प यह है कि यह पत्र नौ सितंबर को जारी किया गया है, जबकि खंडहर को इससे करीब एक सप्ताह पहले ही ध्वस्त कर मलबा भी यहां से हटाया जा चुका है। ऐसे में पूर्व में बिना टेंडर, और बिना किसी आदेश के भवन को ध्वस्त किए जाने को लेकर अब पालिका प्रशासन सवालों के घेरे में है। वहीं सभासदों का कहना है कि कई दिन पहले भवन को ध्वस्त कराने और मलबा खुर्दबुर्द कराने के बाद अब नौ सितंबर को इस संबंध में आदेश जारी किए जाने से साफ जाहिर होता है कि कार्य में अनियमितता के उनके आरोप पूरी तरह सही हैं। सभासदों का कहना है कि पालिका के पुराने भवन को तोड़ने वाले एवं अवैध रूप से इसके मलबे को ठिकाने लगाने वाले ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि जब तक संबंधित ठेकेदार खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं होगा वे अपनी मांग पर अडिग रहेंगे। पालिका के अधिशासी अधिकारी बलविदर सिंह से इस बाबत पूछे जाने पर बताया कि तालाब की भूमि होने के चलते ही भवन को ध्वस्त किया गया है। जबकि मामला अभी तक कोर्ट में लंबित होने के चलते अपने जवाब पर अधिशासी अधिकारी खुद ही उलझते नजर आ रहे हैं।