बड़ा मुद्दा--बच्चों के लिए पार्क न खेल का मैदान, दावा चहुंमुखी विकास का

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: शहरी सरकार के लिए हो रहे चुनाव में हरिद्वार में बच्चों के

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Nov 2018 03:01 AM (IST) Updated:Thu, 15 Nov 2018 03:01 AM (IST)
बड़ा मुद्दा--बच्चों के लिए पार्क न खेल का मैदान, दावा चहुंमुखी विकास का
बड़ा मुद्दा--बच्चों के लिए पार्क न खेल का मैदान, दावा चहुंमुखी विकास का

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: शहरी सरकार के लिए हो रहे चुनाव में हरिद्वार में बच्चों के लिए खेल का मैदान का न होना और पार्को की बदहाली बड़ा मुद्दा बन रही है। शहरी क्षेत्र की तमाम कालोनियों में खेल के मैदान केवल कागजों में ही हैं। धरातल पर एक भी कालोनी में खेल का मैदान है ही नहीं, इससे बच्चे खेलने कहां जाएं, इसका संकट बना हुआ है। बच्चों के लिए खेल का मैदान न होने के चलते उनके शारीरिक विकास पर फर्क पड़ रहा है। कमोवेश यही हाल पार्कों का भी है, कुछ कालोनियों में पार्क तो बने हैं पर, उचित रखरखाव के अभाव में अधिकांश बदहाल हैं। इसके चलते शहरी क्षेत्रों के लोगों को या तो सड़कों पर टहलना पड़ता है या फिर पार्क के लिए घर से दूर भेल क्षेत्र में जाना पड़ता है, वहीं खेल का मैदान न होने से कालोनियों में रहने वाले छोटे बच्चे सड़कों पर ही खेलते हैं, जिसके चलते हर वक्त दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है।

शहरी क्षेत्र की यह बदहाली राज्य स्थापना के बाद तेजी के साथ बढ़ी, अंधे और अनियोजित विकास की आपाधापी में भू-माफिया ने नियमविरुद्ध पार्को और खेल के मैदान को प्लाट में तब्दील कर उन पर बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएं तैयार कर दी। इतना सब होता रहा पर उस वक्त की सरकारों और जिम्मेदार अधिकारियों ने इस पर न तो कोई कार्रवाई की और न ही इसे बचाने के ही कोई उपाए किए। नतीजा एक-एक कर सभी खेल के मैदानों पर कब्जा हो गया और वहां पर कंक्रीट के मैदान तैयार हो गए। शहरी क्षेत्र में अब एक भी कालोनी में खेल का मैदान नहीं रह गया। यही हाल पार्कों का भी है। शहरी क्षेत्र की इक्का-दुक्का कालोनी को छोड़कर किसी भी कालोनी में पार्क नहीं है।

कालोनी की स्थापना के समय इन्हें अनुमति प्रदान करने को टाउन प्लान की अनिवार्यता को दरकिनार कर कागजों में पार्क का प्राविधान कर उन्हें निर्माण की अनुमति दे दी गई। मौके पर पार्क बना, या नहीं इसकी जांच की जरुरत ही नहीं समझी। इस प्रशासनिक उपेक्षा और लापरवाही का परिणाम यह रहा कि वर्तमान में छोटे बच्चों के लिए न तो खेलने का मैदान रहा और न ही घूमने को पार्क। उन्हें इसके लिए अपने-अपने घरों से कोसों दूर जाना पड़ता है। खेल के मैदान और पार्कों के न होने का असर छोटे बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। खेल से वंचित रहने के कारण बच्चों का शारीरिक विकास प्रभावित हो रहा है और वह घरों में बंद होकर रह जा रहे हैं।

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