पहाड़ में मशरूम उत्पादन से रुकेगा पलायन: उनियाल

कृषि और कृषक कल्याण मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि मशरूम उत्पादन में उत्तराखड को पहले नंबर पर लाना है। कहा कि मशरूम उत्पादन के लिए पर्वतीय क्षेत्र की जलवायु उपयुक्त है और यहां मशरूम उत्पादन बढ़ने से पलायन भी रुकेगा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 10:02 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 10:02 PM (IST)
पहाड़ में मशरूम उत्पादन से रुकेगा पलायन: उनियाल
पहाड़ में मशरूम उत्पादन से रुकेगा पलायन: उनियाल

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: कृषि और कृषक कल्याण मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि मशरूम उत्पादन में उत्तराखड को पहले नंबर पर लाना है। कहा कि मशरूम उत्पादन के लिए पर्वतीय क्षेत्र की जलवायु उपयुक्त है और यहां मशरूम उत्पादन बढ़ने से पलायन भी रुकेगा।

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने सोमवार को आजादी के अमृत महोत्सव के तहत ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के सभागार में उद्यान और खाद्य प्रसंस्करण विभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मशरूम महोत्सव: खुंब हर द्वार' का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहली बार अंतरराष्ट्रीय मशरूम महोत्सव का आयोजन हो रहा है। इसमें न्यूजीलैंड, जापान, मलेशिया, थाईलैंड के मशरूम विशेषज्ञ वर्चुअली जुड़ेंगे। कहा कि पहाड़ों से निरंतर पलायन हो रहा है। इसके लिए स्वरोजगार की संभावनाओं को बढ़ाना होगा। मशरूम क्षेत्र के विस्तार से पलायन रोका जा सकता है। इससे जहां सीमाएं सुरक्षित होंगी वहीं रोजगार भी उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि किसान की आय को दोगुना करने की जो भी संभावनाएं हैं, उन्हें धरातल पर उतारना होगा। मशरूम के लिए पर्वतीय क्षेत्र की जलवायु उपयुक्त है। इसलिए यहां मशरूम के उत्पादन को बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास करने होंगे। कहा कि हमें मशरूम उत्पादन के साथ-साथ उसकी पैकिग पर भी ध्यान देना होगा। किसानों को शोषण से बचाने के लिए बिचौलियों को बाहर करना होगा। बताया कि मंडी परिषद में कारपस फंड बनाया गया है। अब हम मंडुवा सीधे किसानों से खरीद रहे हैं। बिचौलिए बाहर हो गए हैं। इसका पूरा लाभ किसानों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने हरिद्वार जिले को मशरूम जनपद घोषित किया है। युवाओं का आह्वान किया कि वह रोजगार मांगने के बजाय, रोजगार देने वाले बनें। आज कलेक्टिव फार्मिंग की आवश्यकता है। कलस्टर अवधारणा को भी मजबूत करना है। जैविक खेती का जिक्र करते कहा कि जैविक खेती के रूप में उत्तराखंड पूरे देश में अग्रणी राज्य है।

सचिव कृषि और कृषक कल्याण डा. आर. मीनाक्षीसुंदरम ने कहा कि हमारे लिए पहले फूड सिक्योरिटी एक चुनौती थी। पहले हमारा ध्यान गेहूं, चावल के उत्पादन तक सीमित था। आज फूड सिक्योरिटी नहीं बल्कि फूड न्यूट्रीशियन के बारे में सोचने की जरूरत है। मशरूम इसमें से एक है। कुछ औषधीय गुणों से भरपूर है। मशरूम महोत्सव के सत्रों में स्थानीय साइंस के बारे में भी विचार-विमर्श किया जाएगा। मत्स्य पालन में उन्होंने ट्राउट मछली का जिक्र करते कहा कि मत्स्य पालन के प्रारंभ में ट्राउट कल्टीवेशन में केवल 15 एमटी उत्पादन उत्तराखंड में किया जा रहा था लेकिन आज 600 एमटी उत्पादन किया जा रहा है, जिसे बढ़ाकर 2000 एमटी उत्पादन करने का लक्ष्य जल्द प्राप्त किया जाएगा। इस मौके पर निदेशक बागवानी मिशन संजय श्रीवास्तव, अपर निदेशक उद्यान और खाद्य प्रसंकरण डा. जगदीशचंद्र केम, संयुक्त निदेशक डा. रतन कुमार, संयुक्त निदेशक डा. हरीशचंद्र तिवारी, मुख्य उद्यान अधिकारी नरेंद्र यादव सहित उद्यान विभाग के अधिकारीगण, मशरूम ग्रोवर आदि उपस्थित रहे।

-- कृषक की आय को दोगुना करने में मशरूम उत्पादन का हो सकता है बड़ा योगदान

हरिद्वार: अपर सचिव कृषि और कृषक कल्याण डा. रामविलास यादव ने मशरूम उत्पादन में देहरादून की दिव्या रावत का उल्लेख करते कहा कि वह इस क्षेत्र में काफी अच्छा कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि स्वरोजगार, पलायन को रोकने, कृषक की आय को दोगुना करने आदि में मशरूम उत्पादन का बहुत बड़ा योगदान हो सकता है।

विश्व में मशरूम की 65 प्रजातियां: डा. बवेजा

हरिद्वार: मशरूम का भविष्य विषय पर उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निदेशक हरमिदर बवेजा ने कहा कि विश्व में मशरूम की लगभग 65 प्रजातियां हैं। अभी केवल सात प्रजातियों पर कार्य हो रहा है। गुच्छी मशरूम स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। मशरूम महोत्सव में मार्केटिग की समस्या पर भी चर्चा होगी। कहा कि उत्तराखंड में पलायन को रोकने में मशरूम की विशेष भूमिका हो सकती है। कोशिश मशरूम की सप्लाई चेन विकसित करने की होगी। उत्पादन को आगे बढ़ाने में प्रोसेसिग का बहुत बड़ा योगदान रहता है। पौंटा में स्थापित मशरूम यूनिट का जिक्र करते हुए कहा कि वहां उत्पादित मशरूम विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा है।

सूरज के बाद विटामिन डी का सर्वोत्तम स्रोत मशरूम

हरिद्वार: मशरूम ग्रोवर एसोसिएशन के मनमोहन भारद्वाज ने बताया कि सूरज के बाद विटामिन डी का सर्वोत्तम स्रोत मशरूम है। उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन का कार्य बहुत कम पूंजी और छोटे स्तर पर भी शुरू किया जा सकता है। कहा कि जिला हरिद्वार में 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट' अंतर्गत मशरूम उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। बताया कि बुग्गावाला में हमारा मशरूम प्लांट काफी अच्छा चल रहा है। वर्ष 2015 में उत्तर भारत में सबसे बड़ा पाली हाउस स्थापित किया था। मशरूम की खपत डोमिनोज आदि कंपनियों में काफी ज्यादा है। बताया कि ग्रोवर एसोसिएशन बनाई गई है। इसके तहत उत्तराखंड के प्रत्येक जिले से 10-12 व्यक्तियों को बुग्गावाला मशरूम प्लांट में प्रशिक्षण दिया जाएगा। एसोसिएशन के हिरेशा वर्मा ने कहा कि पहले मशरूम के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी। मात्र 200 रुपये में मशरूम उत्पादन शुरू किया था। आज प्लांट 2000 टन मशरूम उत्पादन कर रहा है। शुरुआत बटन मशरूम से की थी। आज हम औषधि मशरूम का भी उत्पादन कर रहे हैं।

क्या कहती है मशरूम ब्रांड अंबेसडर

हरिद्वार: ब्रांड अम्बेसडर मशरूम दिव्या रावत ने कहा कि वह आठ वर्षों से इस कार्य को कर रही हैं। यह हमारे रोजगार का साधन है। उत्तराखंड के अलावा मेघालय आदि राज्यों में भी मशरूम के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। बताया कि उनकी कंपनी सौम्या फूड के नाम से चल रही है, जिससे 15,000 लोग जुड़े हैं। मशरूम से किसानों को एक नई पहचान मिली है। देहरादून, चंडीगढ़, सिक्किम आदि में मशरूम रेस्टोरेंट चलाने की योजना है। इंडोर फसल होने के कारण जंगली जानवरों से इसे नुकसान का खतरा नहीं है। तापमान के अनुसार मशरूम उत्पादन किया जा सकता है। इसकी खेती पूरे वर्षभर की जा सकती है।

स्टालों का किया निरीक्षण

इस अवसर पर कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने मशरूम ग्रोवर ममता रावत, विशेश्वर एग्रो प्रोडक्ट, वेल्किया फूड नेचर वेक्टोवा, कृषिवन प्राइवेट लिमिटेड देहरादून, हॉन एग्रोकेयर, एलीनोट आर्गेनिक देहरादून, नेचर ग्रीन्स, किर्लोस्कर, फाल्कन गार्डन टूल्स आदि के स्टालों का भी बारीकी से निरीक्षण किया।

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