माता पिता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म
हरिद्वार: माता पिता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। जो व्यक्ति अपने माता पिता का सम्मान कर उनकी
हरिद्वार: माता पिता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। जो व्यक्ति अपने माता पिता का सम्मान कर उनकी सेवा करता है और उनके बताए मार्ग का अनुसरण करता है उसके सभी पापों की निवृत्ति हो जाती है।
जगजीतपुर स्थित आद्यशक्ति महाकाली आश्रम में आचार्य संजीव भारद्वाज ने श्राद्धपक्ष का सार समझाते कहा कि व्यक्ति केवल शरीर त्यागता है उसकी आत्मा व्यावहारिक रूप से समाज में उपस्थित रहती है। श्राद्धपक्ष में किए गए क्रियाकलाप और पूजन आत्मा को बल देते हैं। प्रत्येक आत्मा को शांति की आवश्यकता होती है और उसकी पूर्ति सिर्फ उनके परिजन ही कर सकते हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को विधि विधानुसार अपने पूर्वजों की प्राप्ति के लिए श्राद्धमास में श्राद्धकर्म अवश्य करना चाहिए। पंडित रोशनलाल शर्मा ने बताया कि श्राद्ध के दिन भले ही लोग कितने ही अलग क्यों न रहते हों लेकिन सब मिलजुल कर श्राद्ध करें। गौमाता, कौआ, श्वान को भोजन अवश्य कराएं तभी पितरों की तृप्ति होती है। इस अवसर पर स्वामी शिवानंद, स्वामी, चन्द्रानंद सुदेश शर्मा, वीरेंद्र शर्मा, राहुल मिश्रा, अभिषेक मिश्रा आदि मौजूद रहे। (जासं)