25 साल में 25 से ज्यादा संतों की हत्या, बेशकीमती धार्मिक संपत्तियां बन रही जान की दुश्मन; ये हैं हरिद्वार के कुछ चर्चित मामले

हरिद्वार में विवादित संपत्तियों के कारण संतों की हत्या और रहस्यमयी तरीके से गायब हो जाने का इतिहास काफी पुराना है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले 25 साल में 25 से ज्यादा साधु-संन्यासी मोह-माया की गुणा-भाग के चलते मार दिए गए।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 02:21 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 03:57 PM (IST)
25 साल में 25 से ज्यादा संतों की हत्या, बेशकीमती धार्मिक संपत्तियां बन रही जान की दुश्मन; ये हैं हरिद्वार के कुछ चर्चित मामले
बेशकीमती धार्मिक संपत्तियां बन रही जान की दुश्मन।

मेहताब आलम, हरिद्वार। बेशकीमती धार्मिक संपत्तियां लगातार संतों की जान की दुश्मन बन रही हैं। हरिद्वार में विवादित संपत्तियों के कारण संतों की हत्या और रहस्यमयी तरीके से गायब हो जाने का इतिहास काफी पुराना है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले 25 साल में 25 से ज्यादा साधु-संन्यासी मोह-माया की गुणा-भाग के चलते मार दिए गए। अब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने हरिद्वार के धार्मिक जगत में नई सिहरन पैदा कर दी है। हत्या की आशंकाओं के बीच यह भी संभव है कि आने वाले दिनों में कई संत सुरक्षा की मांग करें।

हरिद्वार में यूं तो संतों की कई हत्याएं चर्चाओं में रही हैं, लेकिन 14 अप्रैल 2012 को महानिर्वाणी अखाड़े के युवा संत सुधीर गिरि की हत्या ने सनसनी मचा दी थी। कार से बेलड़ा स्थित अपने आश्रम जाने के दौरान महंत सुधीर गिरि को गोलियों से भून दिया गया था। मामले का पर्दाफाश हुआ तो अखाड़े की संपत्ति खुर्द बुर्द करने को खतरनाक गठजोड़ सामने आया। कनखल में महंत योगानंद, भीष्मानंद, भूपतवाला में पीली कोठी वाले धर्मानंद की हत्या हो चुकी हैं। साल 2017 में ट्रेन से मुंबई जाने के दौरान रहस्मयी परिस्थितियों में बड़ा अखाड़ा के कोठारी महंत मोहनदास के गायब होने के पीछे भी संपत्ति को कारण माना जाता रहा है।

वर्तमान में निर्मल विरक्त कुटिया, बद्री बावला धर्मशाला सहित कई धार्मिक संपत्तियों को लेकर विवाद चल रहे हैं। कुछ विवाद पुलिस के लिए भी सिरदर्द बने हुए हैं। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि का नाम हालांकि हरिद्वार में ऐसे किसी संपत्ति विवाद से नहीं जुड़ा है। अलबत्ता अचानक उनकी मौत की खबर पर संत समाज जिस तरह सीधे तौर पर हत्या का आरोप लगा रहा है, यदि यह सच है तो विवादित संपत्तियों से जुड़े संतों का परेशान होना वाजिब है।

हरिद्वार में संतों की हत्या के कुछ चर्चित मामले

25 अक्टूबर 1991: रामायण सत्संग भवन के संत राघवाचार्य आश्रम से निकलकर टहल रहे थे। स्कूटर सवार लोगों ने उन्हें घेर लिया पहले गोली मारी, फर चाकूओं से गोद दिया गया।

9 दिसंबर 1993: रामायण सत्संग भवन के स्वामी राघवाचार्य के साथी रंगाचार्य की ज्वालापुर में हत्या कर दी गई।

1 फरवरी 2000: सूखी नदी स्थित मोक्षधाम की करोड़ों की सम्पत्ति के विवाद में एक फरवरी 2000 को ट्रस्ट के सदस्य गिरिश चंद अपने साथी रमेश के साथ अदालत जा रहे थे, पीछे से एक जीप ने टक्कर मारी और रमेश मारे गए। पुलिस ने स्वामी नागेन्द्र ब्रह्मचारी को सूत्रधर मानते हुए जेल भेजा था।

12 दिसंबर 2000: चेतनदास कुटिया में अमेरिकी साध्वी प्रेमानंद की दिसंबर 2000 में लूटपाट कर हत्या कर दी गई। कुछ स्थानीय लोग पकड़े गए थे।

5 अप्रैल 2001: बाबा सुतेन्द्र बंगाली की हत्या

16 जून 2001: हरकी पैड़ी के सामने टापू में बाबा विष्णुगिरि समेत चार साधुओं की हत्या। 26 जून 2001 को ही एक अन्य बाबा की हत्या कर दी गई।

14 अप्रैल 2012: महानिर्वाणी अखाड़े के युवा संत सुधीर गिरि की गोलियों से भूनकर हत्या।

यह भी पढ़ें- महंत नरेन्द्र गिरी से विवाद के बाद चर्चा में आए थे आनंद गिरि, आस्ट्रेलिया में यौन शोषण में हो चुकी गिरफ्तारी

chat bot
आपका साथी