हरिद्वार: श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि का आश्रम फिर सील, पहले खुलवाया था रसूख का इस्तेमाल कर
Mahant Narendra Giri Death Case श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की मौत के सिलसिले में गिरफ्तार उनके शिष्य आनंद गिरि के हरिद्वार स्थित आश्रम को सील कर दिया गया है। हरिद्वार-ऋषिकेश विकास प्राधिकरण की टीम ने यह कार्रवाई की है। जानिए ये कार्रवाई क्यों की गई।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Mahant Narendra Giri Death Case अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की मौत के मामले में गिरफ्तार उनके शिष्य आनंद गिरि के हरिद्वार के गाजीवाली गांव स्थित आश्रम को हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण (एचआरडीए) ने दोबारा सील कर दिया है। आरोप है कि आश्रम का निर्माण बगैर नक्शा पास कराए हुआ है। पूर्व में भी एचआरडीए ने कार्रवाई की थी, लेकिन बाद में आनंद गिरि ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए बगैर किसी आदेश के आश्रम खुलवा दिया था।
इधर, एचआरडीए ने इस मामले में अवर अभियंता बलराम से सीलबंद संपत्ति में सील तोड़ कर निर्माण होने पर कोई कार्रवाई न करने, अधिकारियों को इसकी जानकारी न देने पर स्पष्टीकरण भी तलब किया है। एचआरडीए उपाध्यक्ष विनय शंकर पांडे ने बुधवार को इस प्रकरण में सख्त रुख अपनाते हुए मामले में ओटीएस (वन टाइम सेटलमेंट) के तहत आनंद गिरि के प्रार्थना पत्र की जांच के आदेश भी दिए हैं। जांच में निर्माण अवैध पाए जाने पर आश्रम को ध्वस्त कर दिया जाएगा।
आनंद गिरि ने दो वर्ष पहले गाजीवाली गांव में गंगा किनारे अपने नाम पर आठ हजार वर्ग फीट भूमि खरीदी थी। इस पर आनंद गिरि ने आश्रम का निर्माण शुरू कराया था। हरिद्वार कुंभ के दौरान यह जानकारी सामने आई थी। बाद में गंगा किनारे बिना नक्शे के हो रहे इस निर्माण पर रोक लगाते हुए एचआरडीए ने आश्रम को सील कर दिया था। आरोप है कि आनंद गिरि ने अपने रसूख का फायदा उठाते हुए एचआरडीए की सील को तोड़ दिया और चार मंजिला भवन का निर्माण कराकर उसमें रहने लगे।
आरोप है कि इस मामले में एचआरडीए से अधिकारियों और कर्मियों की मिलीभगत भी रही। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद इसी आश्रम से आनंद गिरि को हिरासत में लिया गया था। एचआरडीए उपाध्यक्ष विनय शंकर पांडे ने बताया कि मामला संज्ञान में आते ही नोटिस जारी कर आश्रम को दोबारा सील करा दिया। आश्रम को कंपाउंड किए जाने के आनंद गिरि के स्तर से दिए गए प्रार्थना पत्र पर जांच के आदेश दिए हैं। जांच में आश्रम का जो भी हिस्सा अवैध पाया जाएगा, उसे ध्वस्त कर दिया जाएगा। यदि एचआरडीए कर्मियों की संलिप्तता इसमें मिली तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
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