प्रभारी प्राचार्य डा. मिश्र की जमानत अर्जी खारिज

प्रभारी सत्र न्यायाधीश भारत भूषण पांडेय ने भी श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डा. निरंजन मिश्र की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। डा. मिश्र पर फर्जी दस्तावेज के आधार पर महाविद्यालय संस्था पर कब्जा करने का आरोप है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 09:16 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 09:16 PM (IST)
प्रभारी प्राचार्य डा. मिश्र की जमानत अर्जी खारिज
प्रभारी प्राचार्य डा. मिश्र की जमानत अर्जी खारिज

संवाद सहयोगी, हरिद्वार: प्रभारी सत्र न्यायाधीश भारत भूषण पांडेय ने भी श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डा. निरंजन मिश्र की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। डा. मिश्र पर फर्जी दस्तावेज के आधार पर महाविद्यालय संस्था पर कब्जा करने का आरोप है।

इस मामले में उत्तराखंड संस्कृत विवि के पूर्व कुलपति सहित छह शिक्षाविद आरोपित हैं। आरोपित प्रभारी प्राचार्य निरंजन मिश्र को पुलिस ने पिछले दिनों गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। शासकीय अधिवक्ता इंद्रपाल बेदी तथा वादी अधिवक्ता सतीश दत्त शर्मा ने बताया कि प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के स्वामी रुपेंद्र प्रकाश ने ज्वालापुर कोतवाली में 14 जून 2019 को डॉ महावीर अग्रवाल सहित सात शिक्षाविदों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। बताया था कि 17 नवंबर 1965 को संस्कृत, साहित्य की विभिन्न शाखाओं की शिक्षा देने, सामाजिक सेवा व धर्म प्रचार और अन्य गतिविधियों के लिए श्री भगवानदास संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना प्राचीन अवधूत मंडल के संतों ने की थी। स्थापना के समय प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के स्वामी गुरुचरण दास, गोविंद प्रकाश, स्वामी हंस प्रकाश, लाला भगवानदास कत्याल, हरेंद्र कुमार कत्याल, नरसिंह दास सोंधी व फूल स्याल को पदाधिकारी व सदस्य मनोनीत किया गया था। उक्त प्रबंधक कार्यकारिणी वर्ष 1965 से लेकर 1985 तक सुचारु रूप से महाविद्यालय का संचालन करती रही। आरोप है कि उसके बाद से आरोपित विनय बगाई, अनिल मलिक अजय चोपड़ा आदि ने मिलकर संस्था पर अपना अधिकार जमाने के लिए कार्य प्रारंभ कर दिया था। वर्ष 2016-17 में प्रोफेसर महावीर अग्रवाल, अजय चोपड़ा, डा. अरविंद नारायण मिश्र, डा. शैलेन्द्र कुमार तिवारी व डा. भोला झा आदि ने आपस में षडयंत्र रचकर महाविद्यालय की जनक समिति (मूल प्रबंधक समिति) के संविधान के विरुद्ध बिना किसी विधिक प्रक्रिया के विद्यालय की मूल समिति को बदल दिया। आरोपितों ने आपस में षड्यंत्र व दस्तावेज में कूट रचना कर संस्था पर कब्जा करने के लिए केंद्र सरकार की तीन वर्ष के कार्यकाल वाले प्रबंध समिति को मूल समिति पांच साल वाली के स्थान पर उपनिबंधक, कार्यालय में रजिस्ट्रेशन करा लिया था। तभी से आरोपित इससे अनैतिक लाभ प्राप्त कर रहे थे। जांच अधिकारी उप निरीक्षक नंदकिशोर ग्वाड़ी ने जांच के बाद महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य निरंजन मिश्र, निवासी कनखल, हरिद्वार को उनके हस्ताक्षर होने के कारण अपराध में शामिल होना पाया। आरोपित होने के कारण डा. निरंजन मिश्र को गिरफ्तार कर जेल भिजवाया था। सोमवार को आरोपित प्रभारी प्राचार्य की जमानत याचिका मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दी थी। इसके बाद आरोपित की तरफ से सत्र न्यायालय में जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद सत्र न्यायालय ने भी आरोपित प्रभारी प्राचार्य की जमानत याचिका खारिज कर दी।

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