विकास की अंधी दौड़ में पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान

उत्तराखंड के अतिरिक्त मुख्य वन संरक्षक डा. कपिल कुमार जोशी ने कहा कि विकास की अंधी दौड़ ने सबसे अधिक नुकसान पर्यावरण को पहुंचाया है। तमाम बड़े शहरों में कचरे के बड़े-बड़े पहाड़ बन गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 07:36 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 07:36 PM (IST)
विकास की अंधी दौड़ में पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान
विकास की अंधी दौड़ में पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान

संवाद सूत्र, लंढौरा : उत्तराखंड के अतिरिक्त मुख्य वन संरक्षक डा. कपिल कुमार जोशी ने कहा कि विकास की अंधी दौड़ ने सबसे अधिक नुकसान पर्यावरण को पहुंचाया है। तमाम बड़े शहरों में कचरे के बड़े-बड़े पहाड़ बन गए हैं। यह पर्यावरण के लिए और ज्यादा खतरा बनते जा रहे हैं। इसलिए पर्यावरण संरक्षण में सभी की भागीदारी जरूरी है। उन्होंने चमनलाल महाविद्यालय में जंतु विज्ञान एवं अंग्रेजी विभाग की ओर से आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में यह बातें कही।

डा. जोशी ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में आग लगने की घटना मुख्य रूप से चीड़ की पत्तियों की वजह से होती है। आग से जंगल को बचाने के लिए पत्तियों से छोटी-छोटी ब्रिक्स बनाने का प्रयोग शुरू किया गया। इसके लिए स्थानीय नागरिकों की सहायता ली गई। स्थानीय नागरिकों को मौद्रिक लाभ भी हुआ। महिलाओं ने इसमें उत्साहपूर्वक सहभागिता निभाई। इस तरह के प्रयोग से पर्यावरण को लाभ हुआ। उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रों में भी पर्यावरण संरक्षण के लिए इस तरह के प्रयोग किए जाने जरूरी है। जूलाजिकल सर्वे आफ इंडिया से आए डा. वीएम सतीश ने कहा कि जैवविविधता पर आया संकट मनुष्य प्रजाति को भी खतरे में डालेगा। इससे बचने के लिए जरूरी है कि हम जैवविविधता को बचाए रखें और अपने पर्यावरण को संरक्षित करें। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के डा. विनय कुमार सेठी ने कहा कि पर्यावरण के अनियंत्रित दोहन से अनेकों जीवों के सामने अस्तित्व बचाने का संकट पैदा हो गया है, यहां तक कि कुछ जीव तो विलुप्त भी हो चुके हैं। महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष राम कुमार शर्मा ने बिगड़ते पर्यावरण पर चिता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और जैवविविधता को बचाने में तभी सफल हो पाएंगे जब इसमें आम जनता की सहभागिता ली जाएगी। प्राचार्य डा. सुशील उपाध्याय ने कहा कि आज विकास को नए रूप से परिभाषित करने की आवश्यकता है। संगोष्ठी के संयोजक डा. विधि त्यागी ने बताया कि संगोष्ठी में विषय से संबंधित शोध पत्र भी प्रस्तुत किए गए। संगोष्ठी की आयोजन सचिव अंग्रेजी विभाग की डा. अपर्णा शर्मा रही। डा. नवीन त्यागी के संचालन में आयोजित संगोष्ठी में डा. श्वेता, डा. धर्मेंद्र, डा. संजीव कुमार, डा. निशु कुमार, डा. किरण शर्मा, डा. दीपा अग्रवाल, डा. मीरा चौरसिया, डा. दीपिका सैनी आदि मौजूद रहे।

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