आइआइटी रुड़की और एनआइएच रुड़की कर रहा वाटर कॉन्क्लेव का आयोजन
आइआइटी रुड़की और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआइएच) रुड़की संयुक्त रूप से तीन दिवसीय रुड़की वाटर कान्क्लेव का आयोजन कर रहा है।
रुड़की, जेएनएन। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के सीनेट हॉल में आयोजित प्रेस वार्ता में संस्थान के निदेशक प्रोफेसर अजित कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि आइआइटी रुड़की और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआइएच) रुड़की संयुक्त रूप से तीन दिवसीय रुड़की वाटर कान्क्लेव का आयोजन कर रहा है।
बुधवार से प्रारंभ होने वाले तीन दिवसीय आरडब्ल्यूसी के प्रथम संस्करण का फोकस हाइड्रोलॉजिकल एस्पेक्ट्स आफ क्लाइमेट चेंज पर होगा। प्रोफेसर चतुर्वेदी ने कहा कि देश और दुनिया में बड़े पैमाने पर होने वाली कुछ प्रमुख समस्याओं की वाटर कॉन्क्लेव में पहचान की जाएगी। साथ ही जलवायु परिवर्तन के कारण जल संसाधन के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा और संभावित समाधान खोजे जाएंगे।
उन्होंने कहा कि इस कॉन्क्लेव के माध्यम से रिसर्च और पॉलिसी से जुड़े विशेषज्ञ एक साथ एक मंच पर होंगे। इसके अलावा औद्योगिक इकाइयों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। रुड़की वाटर कॉन्क्लेव देश को दिशा देने का कार्य करेगा। राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रुड़की के निदेशक डा. शरद कुमार जैन ने कहा कि आइआइटी रुड़की और एनआइएच ने प्रत्येक दो वर्ष में रुड़की वाटर कान्क्लेव के आयोजन का निर्णय लिया है।
बताया कि देश की समस्या के आधार पर प्रत्येक वर्ष इसका थीम अलग होगा। उन्होंने बताया कि पहले संस्करण में 13 सब थीम होंगे। इनमें डाटा मैनेजमेंट, जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य में किस प्रकार के बदलाव आएंगे और उनका पूर्वानुमान, जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले दुष्प्रभाव को कम करने के लिए तकनीकों को खोजने सहित अन्य मुद्दे शामिल हैं।
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बताया कि 23 विदेशी और भारत के 11 विशेषज्ञ चर्चा में भाग लेंगे। इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, स्पेन, जर्मनी, जापान, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, इटली आदि देशों और भारत के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
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