जानिए कौन सा अखाड़ा है उच्च शिक्षित संतों से सुशोभित, यहां के संत देश-विदेश में देते हैं लेक्चर

Haridwar Kumbh Mela 2021 श्री पंच शंभू पंचायती अखाड़ा निरंजनी के साधु-संत जितनी अच्छी संस्कृत बोलते हैं उतनी ही अच्छी अंग्रेजी भी बोलते हैं। कई तो ऐसे हैं जो विदेशी विश्वविद्यालयों में बकायदा लेक्चर लेने या देने जाते हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sun, 28 Mar 2021 02:41 PM (IST) Updated:Sun, 28 Mar 2021 02:41 PM (IST)
जानिए कौन सा अखाड़ा है उच्च शिक्षित संतों से सुशोभित, यहां के संत देश-विदेश में देते हैं लेक्चर
जानिए कौन सा अखाड़ा है उच्च शिक्षित संतों से सुशोभित।

अनूप कुमार, हरिद्वार। Haridwar Kumbh Mela 2021 अखाड़ा शब्द से आमतौर पर धूल-मिट्टी में एक दूसरे से दांव-पेच लड़ाते मल्लयुद्ध के माहिर पहलवानों का भान होता है। पर, वास्तव में केवल ऐसा नहीं है। आदि गुरु शंकराचार्य ने छठी शताब्दी में धर्मरक्षा के लिए शस्त्र और शास्त्र के माहिर संत महात्माओं व नागा संन्यासियों को जोड़कर उनके अखंड समूह का गठन किया था, जिसे बाद में अखाड़ा कहा जाने लगा।

भारत में विदेशी आक्रांताओं से धर्म की रक्षा करने वाले यह सभी 13 अखाड़े कुंभ आदि स्नान में अपनी शान और शौकत और वैभव के कारण आकर्षण का केंद्र होते हैं। इन अखाड़ों में शामिल संत महात्माओं नागा संन्यासियों को धर्म का ज्ञाता तो माना जाता है, पर आम धारणा यह है कि इनका व्यवहारिक ज्ञान या आधुनिक शिक्षा ज्ञान नगण्य होता है। पर यह सभी अखाड़े और उनमें शामिल संत महात्मा धर्म संस्कृति संस्कृत वेद पुराण के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान के भी ज्ञाता हैं।

वर्तमान में तो इनमें से तमाम आधुनिक शिक्षा के परम ज्ञानी भी हैं। इतना ही नहीं यह सभी इंटरनेट मीडिया के भी माहिर हैं और कंप्यूटर के साथ-साथ तमाम तरह के तकनीकी ज्ञान के ज्ञाता भी हैं। श्री पंच शंभू पंचायती अखाड़ा निरंजनी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। अखाड़े के साधु-संत जितनी अच्छी संस्कृत बोलते हैं, उतनी ही अच्छी अंग्रेजी भी बोलते हैं। कई तो ऐसे हैं, जो विदेशी विश्वविद्यालयों में बकायदा लेक्चर लेने या देने जाते हैं। कोविड-19 काल में इन्होंने ऑनलाइन इस काम को बखूबी अंजाम दिया।

गुजरात में हुई थी स्थापना

श्री पंच शंभू पंचायती अखाड़ा निरंजनी की स्थापना सन 904 में विक्रम संवत 960 कार्तिक कृष्णपक्ष दिन सोमवार को गुजरात के मांडवी नामक जगह पर हुई थी। वर्तमान में इसका मुख्यालय दारा गंज प्रयागराज में है, जबकि हरिद्वार में यह तुलसी चौक के पास स्थापित है। अखाड़े के श्रीमहंतों के मुताबिक अखाड़े के करीब 70 फीसद साधु-संतों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है, जिसमें डॉक्टर से लेकर प्रोफेसर, लॉ एक्सपर्ट, संस्कृत के विद्वान और आचार्य शामिल हैं।

वर्तमान में अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज हैं, जो कि धर्म अध्यात्म के प्रकांड विद्वान होने के साथ-साथ रमल ज्योतिष के विख्यात ज्ञाता भी हैं। अखाड़े के श्रीमहंत और प्रयागराज लेटे हनुमान जी बाघमबारी गद्दी के पीठाधीश्वर श्रीमान नरेंद्र गिरी महाराज वर्तमान में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। जबकि अखाड़े के श्रीमहंत र¨वद्र पुरी महाराज हरिद्वार की प्रसिद्ध शक्ति पीठ मंसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं।

विश्वविद्यालयों में देते हैं लेक्चर

शंभू अखाड़े के श्रीमहंत राम रतन गिरि के अनुसार इस अखाड़े के संत स्वामी आनंद गिरि ने नेट क्वालिफाई किया है। वह देश-विदेश के विश्वविद्यालयों में लेक्चर भी दे चुके हैं, जिसमें आइआइटी, आइआइएम, कैंब्रिज विवि, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और सिडनी यूनिवर्सिटी शामिल है। वह गेस्ट लेक्चरर के तौर पर अहमदाबाद भी जाते रहते हैं। फिलहाल वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे हैं। श्रीमहंत राम रतन गिरि ने बताया इस जमात में अखाड़े के कई अन्य साधु सन्यासी भी शामिल हैं, जिन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की हुई है और तकनीकी शिक्षा में निपुण हैं।

अखाड़े में 43 महामंडलेश्वर

निरंजनी अखाड़े के श्रीमहंत रविंद्र पुरी के मुताबिक, मठ-मंदिरों के साथ-साथ श्री निरंजनी अखाड़ा इलाहाबाद और हरिद्वार में पांच स्कूल, कॉलेज व महाविद्यालय को संचालित कर रहा है। इनके प्रबंधन की सारी व्यवस्था अखाड़े के संत ही संभालते हैं। साथ ही छात्रों को शिक्षा देने का काम भी इसी अखाड़े के संत ही करते हैं। श्रीमहंत रविंद्र पुरी के मुताबिक, श्री पंच शंभू पंचायती निरंजनी अखाड़ा में वर्तमान में 10 हजार से अधिक नागा संन्यासी हैं, जबकि महामंडलेश्वरों की संख्या 43 है। इसके अलावा अखाड़े में महंत और श्रीमहंतों की संख्या एक हजार से भी अधिक है।

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