Haridwar Kumbh Mela 2021: देश को जानने कुंभ आए थे बापू, सात दिन रहे तंबू में; मिली थी ये प्रेरणा

Haridwar Kumbh Mela 2021 राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने वर्ष 1915 में हरिद्वार कुंभ में पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ शिरकत की थी। बताया जाता है कि बापू को तो कुंभ मेले और गंगा स्नान को लेकर कोई विशेष आस्था न थी।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Thu, 25 Mar 2021 03:38 PM (IST) Updated:Thu, 25 Mar 2021 03:38 PM (IST)
Haridwar Kumbh Mela 2021: देश को जानने कुंभ आए थे बापू, सात दिन रहे तंबू में; मिली थी ये प्रेरणा
देश को जानने कुंभ आए थे बापू, सात दिन रहे तंबू में।

अनूप कुमार, हरिद्वार। Haridwar Kumbh Mela 2021 राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने वर्ष 1915 में हरिद्वार कुंभ में पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ शिरकत की थी। बताया जाता है कि बापू को तो कुंभ मेले और गंगा स्नान को लेकर कोई विशेष आस्था न थी, लेकिन कस्तूरबा की इच्छा और अनुरोध पर वे उनके साथ हरिद्वार आए थे। उनके यहां आने का एक कारण गुरुकुल कांगड़ी विवि के संस्थापक स्वामी श्रद्धानंद से मुलाकात करना भी था। बापू को स्वामी श्रद्धानंद से मिलने की सलाह बापू के राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले ने दी थी। उन्होंने बापू को देश को जानने के लिए हरिद्वार कुंभ में जाने की सलाह दी, ताकि उन्हें गुलाम देश की जनता की मानसिकता और हालात समझने का मौका मिलेगा। 

गुरुकुल कांगड़ी विवि के अनुसंधान प्रकाशन केंद्र के पूर्व निदेशक और मानविकी संकाय के पूर्व अध्यक्ष इतिहासकार आचार्य डॉ. विष्णुदत्त राकेश बताते हैं कि बापू ने फरवरी 1915 में भारत लौटने पर गोपाल कृष्ण गोखले से मुंबई में मुलाकात की। इसके बाद पांच अप्रैल 1915 को वह कस्तूरबा गांधी के साथ हरिद्वार पहुंचे। यहां उन्होंने आठ अप्रैल को स्वामी श्रद्धानंद से मुलाकात की थी। मुलाकात के दौरान विवि के प्रोफेसर महेश चरण सिन्हा और गुरुकुल के कई ब्रह्मचारी भी विशेष रूप से मौजूद थे। महात्मा गांधी ने इस यात्रा का उल्लेख अपने लेखों में भी किया है।

इस मुलाकात में बापू ने कहा था कि 'मेरे प्रति महात्मा मुंशीराम (स्वामी श्रद्धानंद) जी का जो प्रेम है, उसके लिए मैं कृतज्ञ हूं। मैं सिर्फ उनसे मिलने के लिए हरिद्वार आया हूं, क्योंकि श्री एन्ड्रूज और श्री गोपाल कृष्ण गोखले ने उनका नाम भारत के उन तीन महापुरुषों में गिनाया है, जिनसे मुझे मिलना चाहिए।' जितने समय महात्मा गांधी हरिद्वार में अपने कार्यों में व्यस्त रहे, उतने समय कस्तूरबा गांधी ने कुंभ के निमित्त पूजा-अर्चना और स्नान ध्यान में अपना समय बिताया। गांधी जी ने हरिद्वार कुंभ मेले का अध्यात्मिक अनुभव करने के लिए कुंभ में लगे शिविरों में भी काफी समय बिताया, सपत्नीक रूके भी। उन्होंने अपनी पुस्तकों में भी इस यात्रा का विस्तार से उल्लेख किया है। 

तंबू में सात दिन रहे बापू 

महात्मा गांधी मुंबई से रेल से हरिद्वार पहुंचे। यहां पहुंच कर रेलवे स्टेशन के सामने एक सराय में ठहरे। अगले दिन गंगा पार कांगड़ी पहुंचे, जहां स्वामी श्रद्धानंद से मुलाकात की। महात्मा गांधी दो दिन उनके पास रहे। तीसरे दिन लौटकर हरिद्वार के कुंभ मेला क्षेत्र पहुंचे। यहां मेले में लगे एक तंबू में वे सात दिन रहे। इसके बाद 1917 में बापू फिर हरिद्वार आए। 

कुंभ बना स्वच्छता अभियान की प्रेरणा

हरिद्वार कुंभ में बापू को भीड़ के कारण हुई गंदगी से स्वच्छता अभियान चलाने की प्रेरणा मिली। बापू उन दिनों कुंभ नगर में फैली गंदगी और मकानों से गिरते खुले नालों से बहुत आहत हुए थे। इसके बाद उन्होंने स्वच्छता अभियान को अपना ध्येय बना लिया।

हरिद्वार में मिली थी महात्मा की उपाधि

वर्ष 1915 के हरिद्वार कुंभ में बापू की यात्रा की खास बात यह रही कि यहीं पर स्वामी श्रद्धानंद से मुलाकात और संबोधन के दौरान महात्मा गांधी ने स्वामी श्रद्धानंद को महात्मा कह कर संबोधित किया था।  कहा जाता है कि यहीं से और इसी के बाद मोहनदास करमचंद गांधी, महात्मा गांधी कहलाए। 

यह भी पढ़ें- Haridwar Kumbh Mela 2021: कुंभ का संयोग- हजार साल में 11वीं बार 14 अप्रैल को मेष संक्रांति, पढ़िए पूरी खबर

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

chat bot
आपका साथी