सरकार और मेला अधिष्ठान के रूख से अखाड़ा परिषद में भारी नाराजगी

Haridwar Kumbh Mela 2021 बैरागी अखाड़ों को छोड़कर बाकी 10 अखाड़ों जिसमें संन्यासी उदासीन और निर्मल अखाड़ा शामिल है को कुंभ मेला क्षेत्र में भूमि आवंटन न किए जाने से अखाड़ा परिषद में भारी नाराजगी है। अखाड़ा परिषद ने इस मामले में बड़ा निर्णय लेने का संकेत दिया है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 12:20 PM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 12:20 PM (IST)
सरकार और मेला अधिष्ठान के रूख से अखाड़ा परिषद में भारी नाराजगी
भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत नरेंद्र गिरि। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Haridwar Kumbh Mela 2021 बैरागी अखाड़ों को छोड़कर बाकी 10 अखाड़ों जिसमें संन्यासी उदासीन और निर्मल अखाड़ा शामिल है, को कुंभ मेला क्षेत्र में भूमि आवंटन न किए जाने से अखाड़ा परिषद में भारी नाराजगी है। अखाड़ा परिषद ने उत्तराखंड सरकार और मेला अधिष्ठान को इस मामले में त्वरित कार्रवाई और भूमि आवंटन ना होने पर 12 और 14 अप्रैल के शाही स्नान को लेकर बड़ा निर्णय लेने का संकेत दिया है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत नरेंद्र गिरि ने कहां है कि परिषद और परिषद में शामिल अखाड़े जिन्हें भूमि आवंटन नहीं हुआ है, इस बात को लेकर अखाड़े बेहद नाराज हैं और भूमि आवंटन ना होने पर शाही स्नान को लेकर बड़ा निर्णय ले सकते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या अखाड़ा परिषद शाही स्नान के बहिष्कार की सोच रही है, इस पर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्री महंत नरेंद्र गिरि ने कहा की फिलवक्त अखाड़ा परिषद में ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है, लेकिन अगर अखाड़ों और अखाड़ा परिषद की बात नहीं मानी गई तो वह इस पर विचार कर सकती है।

बताया जा रहा है कि अखाड़ा परिषद के इस रूख से चिंतित मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत शुक्रवार को हरिद्वार आ रहे हैं। प्रत्यक्ष तौर पर उनका कार्यक्रम एसएमजेएन डिग्री कॉलेज में द्वार के उद्घाटन का है पर, बताया जा रहा है कि वह इस संदर्भ में अखाड़ा परिषद से बातचीत कर उन्हें मनाने की कोशिश करेंगे। अखाड़ा परिषद की मांग है कि तीनों बैरागी अणियों की तरह अखाड़ा परिषद में शामिल बाकी के 10 अखाड़ों को भी मेला क्षेत्र गौरी शंकर द्वीप में उनकी आवश्यकता अनुसार भूमि का आवंटन किया जाए।

अखाड़ा परिषद ने कहा कि ऐसा करने से आने वाले कुंभ के दौरान अखाड़ों को उनकी भूमि की आवश्यकता अनुसार आवंटन की परंपरा का निर्वहन भी होगा और भविष्य में इसे लेकर कोई दिक्कत या परेशानी भी पेश नहीं आएगी। इस मामले में अखाड़ा परिषद की ओर से मेला अधिष्ठान के साथ क्षेत्र का निरीक्षण और दौरा भी किया जा चुका है। पर, भूमि का आवंटन अभी शुरू नहीं हुआ है, जिसे लेकर नाराजगी बनी हुई है।

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