Haridwar Kumbh 2021: बेवजह कुंभ को किया गया बदनाम, जमीनी हकीकत कुछ और ही करती है बयां

Haridwar Kumbh 2021 भले ही कुंभ को एक विलेन की तरह पेश किया और यह माना जाने लगा कि भले ही कोरोना केरल महाराष्ट्र कर्नाटक में पहले ही पैर पसार चुका हो लेकिन इसके प्रसार का केंद्र कुंभ ही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 05:50 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 05:50 PM (IST)
Haridwar Kumbh 2021: बेवजह कुंभ को किया गया बदनाम, जमीनी हकीकत कुछ और ही करती है बयां
बेवजह कुंभ को किया गया बदनाम, जमीनी हकीकत कुछ और ही करती है बयां।

जागरण टीम, हरिद्वार। Haridwar Kumbh 2021 कोरोना की दूसरी लहर के साथ ही समाज के एक हिस्से और खासकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने कुंभ को एक विलेन की तरह पेश किया और यह माना जाने लगा कि भले ही कोरोना केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक में पहले ही पैर पसार चुका हो, लेकिन इसके प्रसार का केंद्र कुंभ ही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है। 11 मार्च को महाशिवरात्रि पर हरिद्वार में सबसे ज्यादा 32.37 लाख श्रद्धालु उमड़ने का दावा किया जाता है। इसके 20 दिनों बाद 31 मार्च को प्रदेश में केवल 293 पाजिटिव केस दर्ज किए गए, जबकि हरिद्वार में इनकी संख्या 70 थी, पिछले दिनों के मुकाबले कोई बड़ा उछाल नहीं दिखा। सरकारी आंकड़ों में अगर रिकवरी रेट की बात की जाए तो यह उस दिन 94.94 फीसद था। संक्रांति के बाद से ही उमड़ने वाली भीड़ के बावजूद अगर मार्च तक ग्राउंड जीरो ही प्रभावित नहीं था तो फिर कुंभ कैसे विलेन हो गया।

यह सभी जानते हैं कि कुंभ का आयोजन संबंधित राज्य सरकारों के लिए बड़ी उपलब्धि का विषय होता है और इसीलिए कई बार आयोजक बढ़ा-चढ़ाकर संख्या पेश करते हैं। इस बार आयोजन से पहले ही उत्तराखंड में राजनीतिक विवाद बढ़ गया था। माना गया कि शायद कुंभ की तैयारी के कारण ही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को जाना पड़ा। खैर नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत 11 मार्च को महाशिवरात्रि पर स्वयं हरिद्वार पहुंचे।शाम को उन्होंने दावा किया कि लगभग 35 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर पुण्य कमाया। यह सिलसिला तीनों शाही स्नान के दौरान भी जारी रहा। सरकार का दावा है कि महाशिवरात्रि और तीनों शाही स्नान के दिन ही लगभग 65-70 लाख भक्त डुबकी लगाकर गए। नतीजतन, कुंभ को कोरोना स्प्रेडर के रूप में प्रचारित करने वालों को सब कुछ थाली में सजा सजाया मिल गया।

दावों के विपरीत सिर्फ 11 लाख श्रद्धालु ही पहुंचे कुंभ

जब जागरण ने पड़ताल की तो जो आंकड़े सामने आए, वे दावे के आंकड़ों से काफी नीचे थे। जागरण ने 11 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन और 12 अप्रैल, 14 अप्रैल व 27 अप्रैल के शाही स्नान के दिन हरिद्वार आने-जाने वालों की संख्या की पड़ताल की। सिर्फ महाशिवरात्रि स्नान के दिन बस और ट्रेन से कुल 33,200 यात्री हरिद्वार आए, जबकि चारों स्नान के दिन हरिद्वार में ट्रेन व बस से आने वाले यात्रियों का आंकड़ा लगभग 92,700 रहा। निजी वाहनों से आने वाले यात्रियों की संख्या करीब पांच लाख रही। इस तरह यह आंकड़ा 5,92,700 बैठता है। इसके अलावा पहले से हरिद्वार में ठहरे श्रद्धालुओं, साधु-संतों की संख्या भी अधिकतम पांच लाख मानते हुए जोड़ दी जाए तो कुल संख्या लगभग 11 लाख पहुंचती है, जो सरकार के 65-70 लाख के दावे से मीलों पीछे है।

होटल, लाज इत्यादि में हुईं सिर्फ 20-30 फीसद बुकिंग

राज्य सरकार, मेला अधिष्ठान, हरिद्वार जिला प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, अधिकृत तौर पर हरिद्वार में एक समय में अधिकतम कुल 5.30 लाख व्यक्तियों के ठहरने की व्यवस्था है। हालांकि होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष आशुतोष शर्मा के अनुसार कुंभ काल में हरिद्वार के होटल, लाज, रिजार्ट, गेस्ट हाउस आदि में बमुश्किल 20 से 30 फीसद तक ही बुकिंग हुई। ऐसे में कुंभ काल के दौरान कभी भी इस व्यवस्था का अधिकतम इस्तेमाल नहीं हुआ।

15 हजार में से महज 145 पुलिसकर्मी हुए संक्रमित

संक्रमण की बात की जाए तो एक और आंकड़ा रोचक है। पुलिस महानिरीक्षक (मेला) संजय गुंज्याल के अनुसार मेले में 15 हजार पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई थी। इनमें से केवल 145 पाजिटिव हुए।

अप्रैल में उतराखंड में संक्रमण दर 15 फीसद थी तो हरिद्वार में 6.2 फीसद

मार्च और अप्रैल में हरिद्वार जिले में संक्रमण दर, उत्तराखंड की तुलना में काफी कम रही। 11 मार्च को राज्य में संक्रमण दर 0.34 प्रतिशत थी। वहीं, हरिद्वार में महज 0.15 प्रतिशत। अंतिम शाही स्नान 27 अप्रैल को जब पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपाया हुआ था, तब उत्तराखंड में संक्रमण दर 15.05 प्रतिशत तक पहुंच गई थी, जबकि हरिद्वार में यह आंकड़ा केवल 6.2 प्रतिशत ही रहा। यानी ग्राउंड जीरो, जहां इतनी भीड़ जुटी, वही भारी प्रकोप से बचा रहा तो फिर इसे हाटस्पाट कैसे कहा जा सकता है।

कुंभ और सरकार को बदनाम करने की साजिश

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने बताया कि कुंभ या कुंभ के बाद जिन राज्यों में संक्रमण तेजी से फैला, उन राज्यों से कुंभ में शामिल होने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या न के बराबर रही। ट्रेन और बस के आंकड़े इस बात के गवाह हैं। इस तरह की बातें फैलाना सनातन धर्म, कुंभ और इसकी व्यवस्था कर रही सरकार को बदनाम करने की साजिश है।

उद्योग व्यापार मंडल के जिला महामंत्री संजीव नैय्यर का कहना है कि कुंभ के दौरान हरिद्वार के बाजारों में अधिकतर समय सन्नाटा छाया रहा। कुंभ में व्यवसाय और व्यापार को गति और लाभ मिलने की जो उम्मीद थी, सब धूमिल हो गई। अब कोरोना संक्रमण के फैलाव की बदनामी बेवजह हाथ लग रही है।

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