Haridwar Kumbh 2021: सबकी नजर मकर संक्रांति स्नान पर, देखा जा रहा कुंभ की रिहर्सल के तौर पर

Haridwar Kumbh 2021 धीरे-धीरे हम कुंभ की ओर कदम बढ़ा रहे हैं इसलिए मकर संक्रांति पर हो रहे साल के पहले पर्व स्नान को कुंभ की रिहर्सल के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि कोरोना के साये में हो रहे इस स्नान पर बीते वर्ष जैसी भीड़ जुटेगी।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Thu, 14 Jan 2021 09:08 AM (IST) Updated:Thu, 14 Jan 2021 09:08 AM (IST)
Haridwar Kumbh 2021: सबकी नजर मकर संक्रांति स्नान पर, देखा जा रहा कुंभ की रिहर्सल के तौर पर
सबकी नजर मकर संक्रांति स्नान पर, देखा जा रहा कुंभ की रिहर्सल के तौर पर।

दिनेश कुकरेती, हरिद्वार। Haridwar Kumbh 2021 धीरे-धीरे हम कुंभ की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, इसलिए मकर संक्रांति पर हो रहे साल के पहले पर्व स्नान को कुंभ की रिहर्सल के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, कोरोना के साये में हो रहे इस स्नान पर बीते वर्ष जैसी भीड़ जुटेगी, इसे लेकर संशय है, फिर भी जिला प्रशासन स्वास्थ्य और सुरक्षा की दृष्टि से कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहेगा। वैसे अभी कुंभ के निमित्त धरातल पर कोई तैयारियां नजर नहीं आ रही हैं, लेकिन सरकार और अखाड़ा परिषद, दोनों का ही दावा है कि कुंभ दिव्य और भव्य होगा। फिलहाल तो सभी की आज के स्नान पर नजर है। 

अतीत पर नजर डालें तो कुंभ काल में पड़ने वाले पर्व स्नानों को भी विशिष्ट माना जाता रहा है। इन पर्व स्नानों पर गंगा में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालु लालायित रहते हैं। संयोग से मैं भी 2010 के कुंभ का साक्षी रहा हूं। तब मकर संक्रांति पर हरिद्वार पूरी तरह कुंभनगर में तब्दील हो चुका था। अखाड़े सजने लगे थे, रमता पंच हरिद्वार में डेरा डाल चुके थे और संन्यासी अखाड़ों की पेशवाई की तैयारियां होने लगी थीं। इस पहले पर्व स्नान पर ही हरकी पैड़ी समेत तमाम गंगा घाटों पर पांव रखने तक को जगह नजर नहीं आ रही थी। यहां तक कि मीडिया को भी बिना स्पेशल पास के हरकी पैड़ी की ओर नहीं जाने दिया जा रहा था। लेकिन, ठीक 11 साल बाद वर्ष 2021 में होने जा रहे इस कुंभ को लेकर फिजां पूरी तरह बदली हुई है। 

अभी तक न तो प्रदेश सरकार की ओर से कुंभ शुरू होने की औपचारिक घोषणा की गई है, न अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और अखाड़ों और संतों की ओर से ही। इसलिए मकर संक्रांति के स्नान को भी महज पर्व स्नान माना जा रहा है। प्रकारांतर से देखा जाए तो इसके पीछे कोरोना संक्रमण के चलते उपजी परिस्थितियां ही जिम्मेदार हैं। श्रद्धालु ऐसा जोखिम कतई नहीं लेना चाहते, जो जीवन पर भारी पड़ जाए। इसलिए वह भीड़ में आने से कतरा रहे हैं। 

खास बात यह कि इस बार जनवरी-फरवरी में कोई शाही स्नान भी नहीं पड़ रहा। इसलिए सरकार की तैयारियां भी संभवता: मार्च-अप्रैल में प्रस्तावित शाही स्नानों को देखते हुए ही हो रही हैं। उम्मीद कीजिए कि तब तक कोरोना संक्रमण पर भी काफी हद तक नियंत्रण पाया जा चुका होगा। 

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