संत की कलम से: धर्म, संस्कृति और अध्यात्म का संगम है कुंभ- रविंद्र पुरी

Haridwar Kumbh 2021 कुंभ मेला धर्म संस्कृति और आध्यात्म का संगम है। कुंभ मेले में एक ही स्थान पर सारे विश्व से बिना किसी निमंत्रण के सनातन हिंदू धर्मावलंबी मोक्ष की कामना कर गंगा स्नान करने आते हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sat, 30 Jan 2021 11:08 AM (IST) Updated:Sat, 30 Jan 2021 11:08 AM (IST)
संत की कलम से: धर्म, संस्कृति और अध्यात्म का संगम है कुंभ- रविंद्र पुरी
धर्म, संस्कृति और अध्यात्म का संगम है कुंभ- रविंद्र पुरी।

Haridwar Kumbh 2021 कुंभ मेला धर्म, संस्कृति और आध्यात्म का संगम है। कुंभ मेले में एक ही स्थान पर सारे विश्व से बिना किसी निमंत्रण के सनातन हिंदू धर्मावलंबी मोक्ष की कामना कर गंगा स्नान करने आते हैं। प्रयागराज के संगम, उज्जैन की शिप्रा, नासिक के त्र्यम्बकेश्वर और हरिद्वार की गंगा में एक ऐसी शक्ति समाहित है जो युगों-युगों से हिंदुओं को आध्यात्म से जोड़ने के लिए सेतु का कार्य करते हैं। 

कुंभ मेला एक ईश्वरीय निमंत्रण है, जिसमें श्रद्धालु भक्तजन शामिल हो कर स्वयं को भाग्यशाली समझता है। कुंभ स्नान कर सहस्त्रगुना फल की प्राप्ति करता है। कुंभ मेले में सनयासी, बैरागी अखाड़ों के नागा सन्यासियों, महामंडलेश्वरों, संतजनों की पेशवाई, शाही स्नान इस आयोजन को भव्यता प्रदान करते हैं।

नागा संयासियों की दीक्षा, मंहतों, महामंडलेश्वरों का पट्टाभिषेक कुंभ पर्व को सन्यास परंपरा को आगे बढ़ाने का अवसर बनता हैं। इस प्रकार कुंभ मेला सनातन हिंदू धर्म का महान, विशाल पर्व है, जो सनातन हिंदू धर्म की आस्था, मान्यताओं का प्रतिबिंब है। कोरोना वायरस संक्रमण के साए के बीच भले ही कुंभ मेला हो रहा है, लेकिन संतों की कृपा से यह अपने परंपरागत स्वरूप में दिव्य और भव्य होगा।

क्षीर सागर में शेषनाग की रस्सी से किए गए समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को लेकर देवताओं और असुरों में हुए संग्राम के दौरान धरती लोक पर जहां भी अमृत की बूंदें गिरी। वहीं, देवताओं के आदेश से कुंभ का आयोजन शुरू हुआ। इस कारण ही कुंभ धरती लोक के साथ ही देवलोक में भी आस्था का महापर्व है।  

[रविंद्र पुरी, महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव और पीठाधीश्वर कनखल दक्ष मंदिर]

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