संत की कलम से: कुंभ मेले के दौरान अखाड़ों की पेशवाई होती है मुख्य आकर्षण- श्रीमंहत विनोद गिरी

Haridwar Kumbh 2021 कुंभ मेले के दौरान अखाड़ों की पेशवाई मेले के मुख्य आकर्षण का केंद्र होती है इस दौरान हजारों की तादाद में नागा संन्यासी पतित पावनी मां गंगा में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 10:17 AM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 10:17 AM (IST)
संत की कलम से: कुंभ मेले के दौरान अखाड़ों की पेशवाई होती है मुख्य आकर्षण- श्रीमंहत विनोद गिरी
कुंभ मेले के दौरान अखाड़ों की पेशवाई होती है मुख्य आकर्षण।

Haridwar Kumbh 2021 कुंभ मेले के दौरान अखाड़ों की पेशवाई मेले के मुख्य आकर्षण का केंद्र होती है, जिसमें हजारों की तादाद में नागा संन्यासी पतित पावनी मां गंगा में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु भक्त भारत की इसी संस्कृति से प्रभावित होकर सनातन धर्म को अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक महाकुंभ में जूना अखाड़े के नागा सन्यासी अपना अलग स्थान रखते हैं। 

वर्षों की तपस्या के बाद नागा सन्यासी कुंभ मेले के दौरान बाहर निकलते हैं और लाखों-करोड़ों श्रद्धालु को आशीर्वाद देकर विश्व कल्याण की कामना करते हैं। संपूर्ण विश्व में कोई भी ऐसा देश नहीं है, जहां इस तरह का धार्मिक आयोजन होता है। इसमें सभी जाति संप्रदाय के लोग आपस में मिलजुल कर पतित पावनी मां गंगा में स्नान कर अपने जीवन को सफल बनाते हैं। नागा संन्यासियों की अलौकिक क्षमता और तेज देखकर देश ही नहीं, बल्कि विदेशी भी आश्चर्यचकित रह जाते हैं। सनातन संस्कृति और अखाड़ों की परंपराओं का निर्वहन करते हुए संत महापुरुष आपसी समन्वय से प्रत्येक महाकुंभ को दिव्य व भव्य रुप से संपन्न कराते आ रहे हैं, जो विश्व में एकता और अखंडता कायम रखने का प्रतीक है।

कुंभ की अनोखी विशेषताओं का वर्णन देवताओं ने भी अपनी वाणी में किया है। क्षीर सागर में समुद्र मंथन से निकले अमृत को देवता और असुरों में संग्राम हुआ था। धरती लोक पर जहां-जहां अमृत की बूंदे गिरी वहां देवताओं के आदेश से कुंभ का आयोजन होता है।

[श्रीमंहत विनोद गिरी, अंतरराष्ट्रीय संगठन मंत्री, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा]

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