एलोपैथ चिकित्सकों ने की भूख हड़ताल

स्नातकोत्तर डिग्रीधारक आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सामान्य सर्जरी की अनुमति देने के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रुड़की से जुड़े चिकित्सक बुधवार को भूख हड़ताल पर रहे।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 03 Feb 2021 05:12 PM (IST) Updated:Wed, 03 Feb 2021 09:46 PM (IST)
एलोपैथ चिकित्सकों ने की भूख हड़ताल
एलोपैथ चिकित्सकों ने की भूख हड़ताल

संवाद सहयोगी, रुड़की: स्नातकोत्तर डिग्रीधारक आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सामान्य सर्जरी की अनुमति देने के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रुड़की से जुड़े चिकित्सक बुधवार को भूख हड़ताल पर रहे। चिकित्सकों ने अधिसूचना को वापस लिए जाने की मांग करते हुए प्रदर्शन भी किया। आइएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुरेंद्र कौशिक ने कहा कि यदि अधिसूचना को वापस नहीं लिया जाता है तो 14 फरवरी को आइएमए चिकित्सक दिल्ली कूच करेंगे। साथ ही अपनी मांगों के संबंध में स्थानीय विधायक व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को ज्ञापन भी देंगे।

सेंट्रल आइएमए के आह्वान पर आइएमए रुड़की के सभी चिकित्सक रिले हंगर स्ट्राइक (भूख हड़ताल) में शामिल हुए। चिकित्सक नगर निगम के सामने गंगनहर पटरी पर एकत्रित हुए। यहां पर चिकित्सकों ने अधिसूचना को मिक्सोपैथी का फरमान बताते हुए जमकर नारेबाजी की। चिकित्सकों ने सरकार से इस अधिसूचना को अविलंब वापस लेने की मांग की। धरना प्रदर्शन की अध्यक्षता कर रहे आइएमए अध्यक्ष डॉ. विकास त्यागी ने कहा कि अधिसूचना पूरी तरह से अव्यवहारिक है। जिसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह अधिनियम सरासर मरीजों के जीवन से खिलवाड़ है। डॉ. संजय गर्ग ने कहा कि यदि मेडिकल में कोई भी चिकित्सक कोई भी उपचार और सर्जरी कर सकता है तो फिर वर्षो की पढ़ाई करके नीट आदि की परीक्षाएं पास करना व बीमारियों के उपचार आदि की विशेषज्ञता हासिल करने के लिए कठिन पढ़ाई करने का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता है। यह नियम एलोपैथिक चिकित्सकों का भी मजाक उड़ाने जैसा है। डॉ. रामसुभग सैनी ने कहा कि सरकार यदि आयुर्वेद को बढ़ावा देना चाहती है तो यह अच्छी बात है। आयुर्वेद भी अच्छी और प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। लेकिन, उसे बढ़ावा देकर अन्य चिकित्सा पद्धति में छेड़छाड़ ठीक नहीं है। आयुर्वेद चिकित्सा में सर्जरी का कोई अर्थ नहीं है। डॉ. वंदना ग्रोवर ने कहा कि सभी चिकित्सा पद्धति का अपने आप में महत्व है। लेकिन, ऐसी अनगर्ल अधिसूचना जारी कर चिकित्सा पद्धति को मिक्सोपैथी न बनाएं। डॉ. अजय अग्रवाल ने कहा कि सर्जरी के लिए एलोपैथ विशेषज्ञता जरूरी है। सर्जरी चाहे छोटी हो या फिर बड़ी, उसमें मामूली सी भी गलती मरीज के लिए जानलेवा हो सकती है। इसको मिक्सोपैथी बनाना बेहद गलत है। सरकार को अपना निर्णय वापस लेना चाहिए।

धरना प्रदर्शन में डॉ. सुभी अग्रवाल, डॉ. ज्योत्सना, डॉ. रेणु जैन, डॉ. विरिका साहरन, डॉ. गोपाल, डॉ. महेंद्र वैश्य, डॉ. रमनीक, डॉ. नीरज अग्रवाल, डॉ. अंकुर सैनी, डॉ. डीडी लूंबा, डॉ. रश्मि सैनी आदि मौजूद रहे।

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