डिजिटल आई स्ट्रेन का शिकार हो रहे बच्चे

कोरोना महामारी का सबसे ज्यादा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ा है। पिछल

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 03:00 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 03:00 AM (IST)
डिजिटल आई स्ट्रेन का शिकार हो रहे बच्चे
डिजिटल आई स्ट्रेन का शिकार हो रहे बच्चे

दीपक मिश्रा, रुड़की

कोरोना महामारी का सबसे ज्यादा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ा है। पिछले डेढ़ साल से बच्चे आनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। हालांकि अब स्कूल खुलने लगे हैं। लेकिन, अभी भी अधिकांश बच्चे आनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। आनलाइन पढ़ाई डिजिटल गैजेट्स पर ही निर्भर है। इसके चलते बच्चे मोबाइल और लैपटाप आदि के आगे चिपके रहते हैं। इसके दुष्प्रभाव भी सामने आ रहे हैं। छात्र डिजिटल आई स्ट्रेन के शिकार हो रहे हैं। बच्चों को इसी उम्र में अब नजर के चश्मे की जरूरत पड़ने लगी है। सिविल अस्पताल रुड़की में आंखों की बीमारी से संबंधित आने वाले अधिकांश मरीज बच्चे हैं, जिनकी उम्र आठ से 18 साल के बीच है।

कोरोना महामारी के बाद स्कूल बंद हो गए और बच्चों की पढ़ाई आनलाइन शुरू हो गई। जो अभिभावक पहले बच्चों को मोबाइल और लैपटाप नहीं देते थे। उन्हें बच्चों के लिए मोबाइल और लैपटाप खरीदने पड़े। आनलाइन पढ़ाई के चलते बच्चे घंटों तक मोबाइल और लैपटाप देख रहे हैं। इससे उनकी आंखों पर असर पड़ा है। सिविल अस्पताल रुड़की के नेत्र सर्जन डा. महेश खेतान बताते हैं, आनलाइन पढ़ाई के कारण बच्चे अपना ज्यादातर समय मोबाइल और लैपटाप पर बिता रहे हैं। इससे मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली रोशनी का असर आंखों की मांसपेशियों पर पड़ रहा है। ज्यादा समय तक यदि यह रोशनी आंखों पर पड़े तो वह आंखों की रोशनी पर असर डालती है। इससे डिजिटल आई स्ट्रेन का खतरा रहता है। सिविल अस्पताल की आप्टीशियन अनिता ने बताया कि कोरोना काल से पहले आंखों की जांच के लिए आने वाले मरीजों में बच्चों की संख्या न के बराबर होती थी, लेकिन अब यह संख्या 80 फीसद तक हो गई है। आंखों की जांच कराने आने वालों में अधिकांश बच्चे हैं, जिनकी उम्र आठ से 18 वर्ष के बीच है।

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यह हैं लक्षण

- आंखों में दर्द होना, सिर में दर्द रहना,

देखने-पढ़ने में दिक्कत महसूस होना, धुंधला नजर आना, आंखें लाल होना, आंखों में सूजन रहना।

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ऐसे करें बचाव

- डिजिटल गैजेट्स को कम से कम एक से दो फीट की दूरी पर रखना।

- लगातार स्क्रीन न देखना।

- स्क्रीन की रोशनी को कम रखना।

- बीच-बीच में आंखों को कुछ समय के लिए बंद रखना।

- चिकित्सक की सलाह पर आई ड्राप्स का इस्तेमाल करना।

- डिजिटल गैजेट्स का इस्तेमाल करते समय कमरे की लाइट आन रखना।

- डिजिटल आई स्ट्रेन का कोई भी लक्षण होने पर नेत्र रोग विशेषज्ञ की सलाह लें।

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