कुंभ मेले के दौरान कोरोना टेस्ट में घपले की जांच को समिति गठित, 15 दिन में देगी रिपोर्ट

कुंभ मेले के दौरान श्रद्धालुओं की कोरोना जांच में धांधली की असलियत का पता लगाने के लिए जिलाधिकारी सी रविशंकर ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता में गठित समिति में मुख्य कोषाधिकारी और जिला विकास अधिकारी शामिल हैं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 03:26 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 03:26 PM (IST)
कुंभ मेले के दौरान कोरोना टेस्ट में घपले की जांच को समिति गठित, 15 दिन में देगी रिपोर्ट
कुंभ मेले के दौरान कोरोना टेस्ट में घपले की जांच को समिति गठित।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। कुंभ मेले के दौरान श्रद्धालुओं की कोरोना जांच में धांधली की असलियत का पता लगाने के लिए जिलाधिकारी सी रविशंकर ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता में गठित समिति में मुख्य कोषाधिकारी और जिला विकास अधिकारी शामिल हैं। समिति 15 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। एक रोज पहले शासन ने जिलाधिकारी को मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए थे। इस बीच, जिलाधिकारी ने कोरोना जांच करने वाली सभी निजी लैब के भुगतान पर फिलहाल रोक लगा दी है। इनके साथ ही छह सरकारी लैब को भी जांच के दायरे में लिया गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इस पर फैसला किया जाएगा।

फरीदकोट पंजाब निवासी एक व्यक्ति ने आइसीएमआर से कोरोना जांच में फर्जीवाड़े की शिकायत की थी। इस व्यक्ति के मोबाइल पर कोरोना जांच का संदेश पहुंचा था, जबकि उसकी कभी कोरोना जांच हुई ही नहीं। राज्य के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने मामले की प्रारंभिक जांच कराई। कोविड-19 मामलों के चीफ कंट्रोलिंग आफिसर डा. अभिषेक त्रिपाठी के स्तर से की गई इस जांच में प्रथमदृष्टया शिकायत सही पाई गई। यही नहीं, उन्होंने एक लाख से अधिक कोरोना जांच में गड़बड़ी की आशंका जाहिर की है। डा. त्रिपाठी ने शासन को सौंपी अपनी रिपोर्ट में मामले को गंभीर बताते हुए इसकी विस्तृत जांच की सिफारिश की थी। इसके मद्देनजर स्वास्थ्य सचिव ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को कुंभ मेला अवधि, इससे पहले और इसके बाद हुई कोरोना जांच की विस्तृत छानबीन के निर्देश दिए थे।

जिलाधिकारी सी रविशंकर का कहना है कि मामला बेहद गंभीर है। विस्तृत जांच के लिए सीडीओ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन कर दिया गया है। जांच रिपोर्ट के आधार पर संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यह भी पता लगाया जा रहा है कि गड़बड़ी जानबूझ कर की गई या फिर किसी तकनीकी व मानवीय भूल का परिणाम तो नहीं है। डीएम ने बताया कि अब तक किसी लैब को भुगतान नहीं हुआ है, जांच होने तक भुगतान नहीं करने के निर्देश दिए हैं।

एक जांच के लिए 354 से 500 रुपये तक नियत

निजी लैब में कोरोना जांच की दर प्रति सैंपल 354 से 500 रुपये तक नियत की गई है। एंटीजन जांच के लिए 354 रुपये तय किए गए हैं। आरटीपीसीआर जांच के लिए दो तरह की व्यवस्था की गई। लैब को सैंपल लेकर दी गई जांच 400 रुपये और खुद लैब के स्तर पर सैंपल लेकर जांच के लिए 500 रुपये भुगतान की व्यवस्था है।

स्टार इमेजिंग को किया प्रतिबंधित

कुंभ मेले के दौरान कोरोना जांच के लिए शामिल की गई स्टार इमेजिंग कंपनी को अनियमितताओं की शिकायत के आधार पर हरिद्वार जिले में प्रतिबंधित कर दिया गया है। अब यह कंपनी एंटीजन और आरटीपीसीआर जांच के लिए सैंपल नहीं ले पाएगी। सीएमओ शंभू कुमार झा ने बताया कि ऊधमसिंह नगर और टिहरी में कंपनी के खिलाफ शिकायतें मिली थी।

रोजाना हुए थे 20 हजार तक टेस्ट

कुंभ मेला शुरू होने से पहले नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मेला अवधि में रोजाना 50 हजार कोरोना जांच कराने के आदेश दिए थे। इसके लिए सरकार ने बड़ी संख्या में निजी लैब को भी कोरोना जांच के लिए अधिकृत किया था। उस दौरान एक दिन में 15 से 20 हजार तक कोरोना टेस्ट करने का दावा किया गया। हरिद्वार के सीएमओ डा. शंभू कुमार झा के अनुसार पांच सरकारी और 17 निजी लैब को कुंभ के दौरान कोरोना जांच का काम सौंपा गया गया था। बताया गया कि इनमें से नौ लैब कुंभ मेले के लिए अस्थायी स्तर पर स्थापित स्वास्थ्य अनुभाग के अधीन कुंभ मेलाधिकारी स्वास्थ्य डा. अजरुन सिंह सेंगर के निर्देशन में सेवाएं दे रहीं थीं। जबकि अन्य लैब हरिद्वार के मुख्य चिकित्साधिकारी डा. शंभू कुमार झा के निर्देशन में काम कर रही थीं।

ये लग रहे हैं आरोप

कोरोना जांच करने वाली लैब ने ज्यादा लाभ कमाने की नीयत से सैंपलिंग में धांधली की। बिना जांच के ही डाटा फीड कर दिया। विभिन्न माध्यमों से प्राप्त नाम, मोबाइल नंबर, यहां तक कि आधार कार्ड नंबर तक दर्ज कर सैंपलिंग होना दर्शा दिया। डा. अर्जुन सिंह सेंगर, कुंभ मेलाधिकारी (स्वास्थ्य) का कहना है कि कुंभ मेला व्यवस्थाओं के तहत स्वास्थ्य अनुभाग ने कोरोना जांच के लिए नौ निजी लैब को अधिकृत किया था। इनमें से किस के स्तर से गड़बड़ी की गयी है, इसकी जांच हो रही है। फिलवक्त सभी का भुगतान रोक दिया गया है। जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। डा. शंभू कुमार झा (सीएमओ, हरिद्वार) का कहना है कि शासन स्तर से कराई गई जांच की रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है। रिपोर्ट मिलने के बाद ही इस मामले में कुछ कहा जा सकता है। जिलाधिकारी स्तर से जांच कमेटी बनाकर प्रकरण की जांच करायी जा रही है। चूंकि कुंभ क्षेत्र का फैलाव ऋषिकेश तक है, ऐसे में गड़बड़ी कहां और किस स्तर पर हुई है यह विस्तृत जांच से ही संभव है। फिलहाल किसी भी लैब को कोरोना जांच की एवज में कोई भुगतान नहीं किया गया है। मामले की जांच पूरी होने और उसके आधार पर की जाने वाली कार्रवाई के मद्देनजर भुगतान पर फैसला किया जाएगा। अमित नेगी (सचिव स्वास्थ्य) का कहना है कि मामले की प्राथमिक जांच में गड़बड़ी की पुष्टि हुई है। इस कारण इस मामले में जिलाधिकारी हरिद्वार को विस्तृत जांच के निर्देश दिए गए हैं। उनसे कहा गया है कि सभी फोन नंबरों की जांच की जाए। ये थोड़ी कठिन प्रक्रिया है। इस कारण जांच के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। जांच पूरी होने तक सभी का भुगतान रोकने को कहा गया है। अगर जिलाधिकारी को लगेगा तो वह अन्य लैब द्वारा की गई कोरोना जांच के संबंध में भी जांच कर सकते हैं।

चालीस करोड़ की बंदर बांट को खेला जांच का खेल

कुंभ के दौरान जांच के नाम पर निजी लैब ने स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलीभगत से करीब चालीस करोड़ की बंदरबांट का खेल खेला गया। आरोप है कि स्नान पर्व और शाही स्नान पर मेला अधिष्ठान व मेला पुलिस की ओर से जारी श्रद्धालुओं की संख्या के आधार पर अधिक से अधिक लाभ कमाने को यह फर्जीवाड़ा किया गया। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि हरिद्वार में अप्रैल 2020 से मई 2021 तक कुल 13 माह में 15 लाख 69 हजार जांच हुई। हैरत की बात यह है कि इसमें सात लाख 75 हजार 604 जांच अकेले मार्च 2021 और अप्रैल 2021 में हो गई। मतलब इन दो माह में सात लाख 75 हजार 604 जांच और शेष 11 माह में सात लाख 93 हजार 826 जांच की गई।

कोरोना जांच कर रही सभी निजी लैब की होगी जांच

हरिद्वार महाकुंभ के दौरान एंटीजन जांच में फर्जीवाड़े पर सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। यह मामला सामने आने के बाद अब राज्यभर में कोरोना जांच कर रही निजी लैब की जांच करने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य महानिदेशालय ने इस संदर्भ में आदेश भी कर दिए हैं।

स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में जांच कर रही सभी निजी लैब की टेस्टिंग की जांच का निर्णय लिया है। शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया कि स्वास्थ्य महानिदेशक ने आदेश कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि सभी जिलों में कोरोना की जांच कर रही लैब की ओर से दिए जा रहे बिलों का भुगतान करने से पहले ठीक से परीक्षण करने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि लैब के द्वारा दिए गए बिलों के भुगतान से पहले उनसे पूछा जाएगा कि उन्होंने कितनी जांच किट खरीदी और कहां से खरीदी। इसका उनसे प्रमाण भी लिया जाएगा, ताकि फर्जी जांच का आंकड़ा सामने आ जाए।

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