संत की कलम से: बैरागी संतों के शिविर और खालसे होते हैं आकर्षण का केंद्र- श्री महंत महेंद्र दास महाराज
कुंभ मेला भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का सबसे बड़ा उत्सव है। जिसमें करोड़ों श्रद्धालु भक्त हरिद्वार आगमन पर मां गंगा में स्नान कर अपने जीवन को सफल बनाते हैं। करोड़ों सनातन प्रेमियों की आस्था का प्रतीक कुंभ मेला पूरे विश्व में एकता और अखंडता को कायम रखता है।
कुंभ मेला भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का सबसे बड़ा उत्सव है। जिसमें करोड़ों श्रद्धालु भक्त हरिद्वार आगमन पर मां गंगा में स्नान कर अपने जीवन को सफल बनाते हैं। करोड़ों सनातन प्रेमियों की आस्था का प्रतीक कुंभ मेला पूरे विश्व में एकता और अखंडता को कायम रखता है। कुंभ को सफल बनाना प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है। 25 मार्च वृंदावन मेले के बाद बड़ी संख्या में बैरागी संत हरिद्वार आगमन करेंगे।
इसके लिए सरकार को अपनी तैयारी पहले से पूरी कर लेनी चाहिए ताकि मेले के दौरान किसी भी संत महापुरुषों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना ना करना पड़े। कुंभ मेले के दौरान बैरागी संतों के शिविर और खालसे मुख्य आकर्षण का केंद्र होते हैं। कुंभ की भव्यता दिव्यता में बैरागी संतों की अहम भूमिका होती है। यदि सरकार की ओर से सुविधाएं नहीं मिलती हैं तो संतों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ेगा। सरकार और मेला अधिष्ठान जल्द से जल्द बैरागी संतो के लिए कुंभ की व्यवस्थाएं लागू कराए।
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मेला प्रशासन को कुंभ मेला ऐतिहासिक रूप से संपन्न कराकर संपूर्ण विश्व को एक सकारात्मक संदेश प्रदान करना चाहिए ताकि विश्व में व्याप्त कोरोना महामारी से भयभीत लोग भय से मुक्त हो सकें। संतों के आशीर्वाद से कुंभ मेला दिव्य और भव्य होगा।
-श्री महंत महेंद्र दास महाराज, शनि पीठाधीश्वर
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