परिवार को भारत बुलाना चाहते हैं आइआइटी रुड़की में अध्ययनरत अफगानी छात्र
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की में अध्ययनरत अफगानी छात्र अपने परिवार के लोगों को लेकर चिंतित है। वह उन्हें भारत बुलाना चाहते हैं। बता दें कि आइआइटी रुड़की में विभिन्न पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले अफगानी छात्रों की कुल संख्या 58 है।
रीना डंडरियाल, रुड़की। Afghanistan Crisis तालिबान के अफगानिस्तान में कोहराम मचाने और काबुल पर कब्जा करने के बाद से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की में रह रहे अफगानी छात्र अपने स्वजन लेकर चिंतित हैं। उनके स्वजन सुरक्षित रहें, इसके लिए वे उन्हें भारत बुलाना चाहते हैं। विदेशी छात्रों के ओरिएंटेशन प्रोग्राम में अफगानी छात्रों ने यह मांग की। वहीं, इस समय आइआइटी रुड़की में पीएचडी और पीजी पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले सात अफगानी छात्र रह रहे हैं। जबकि पीएचडी एवं पीजी पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले अफगानिस्तान के छात्रों की कुल संख्या 58 है। इनमें से 31 छात्रों ने इस साल प्रथम सेमेस्टर में दाखिला लिया था।
आइआइटी रुड़की में पीएचडी और पीजी पाठ्यक्रमों में इस समय लगभग 25 देशों के करीब 144 विदेशी छात्र अध्ययनरत हैं। इनमें नेपाल, अफगानिस्तान, भूटान, इथियोपिया, श्रीलंका, इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम आदि देशों के छात्र शामिल हैं। विदेशी छात्र संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग, जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभाग, कंप्यूटर साइंस समेत अन्य विभागों में अध्ययनरत हैं। उधर, अफगानिस्तान में तालिबान के कोहराम मचाने से संस्थान परिसर में रह रहे अफगानी छात्र बेहद चिंतित हैं। छात्र समाचार पत्र, टीवी चैनल और इंटरनेट मीडिया के माध्यम से जहां अफगानिस्तान में हो रही इस उथल-पुथल की पल-पल की जानकारी ले रहे हैं, वहीं अपने-अपने स्वजन को फोन करके उनके प्रति अपनी चिंता जता रहे हैं। वहीं आइआइटी रुड़की की ओर से संस्थान में पढ़ रहे विदेशी छात्रों के लिए आयोजित ओरिएंटेशन प्रोग्राम में भी अफगानी छात्रों ने अपने स्वजन को लेकर चिंता जताई।
आइआइटी रुड़की के इंटरनेशनल रिलेशन के डीन प्रो. पी अरुमुगम ने बताया कि ओरिएंटेशन प्रोग्राम में अफगानिस्तान से भी छात्रों ने आनलाइन हिस्सा लिया। छात्रों ने बताया कि वे भी अपने स्वजन को साथ लाना चाहते हैं। वहीं, जो छात्र कैंपस में रह रहे हैं वे भी अपने स्वजन की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। इसलिए वे भी चाहते हैं कि उनके स्वजन को भी यहां बुला लिया जाए। डीन प्रो. पी अरुमुगम के अनुसार छात्रों को बताया गया कि इस संबंध में भारत सरकार की ओर से ही निर्णय लिया जाएगा। कोरोना से सुरक्षा के लिए जिन विदेशी छात्रों ने दोनों डोज लगा ली हैं, उन्हें संस्थान परिसर में आने की अनुमति दे दी गई है।
अफगानी दोस्तों से साध रहे संपर्क
इस समय अफगानिस्तान में जो हालात हैं उससे आइआइटी रुड़की में अध्ययनरत वे छात्र भी चिंतित हैं, जिनके दोस्त यहां से पढ़ाई करके अफगानिस्तान लौट चुके हैं। आइआइटी रुड़की के जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभाग से पीएचडी कर रहे शोधार्थी लखविंदर सिंह ने बताया कि उनके अफगानी दोस्त इतमततुल्ला ने संस्थान से एमटेक किया था। अफगानिस्तान में इस समय जिस तरह के हालात हैं, उस वजह से वह अपने दोस्त की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने फेसबुक पर दोस्त से संपर्क किया और वहां के हालात की जानकारी ली। शोधार्थी लखविंदर सिंह के अनुसार दोस्त ने बताया कि अफगानिस्तान में इस समय स्थिति बेहद खतरनाक है। वह वहां पर एक सरकारी विभाग में कार्यरत था। लेकिन, उसकी नौकरी छूट गई है। उसने बताया कि वह किसी तरह से अफगानिस्तान से निकलने का प्रयास कर रहा था। लेकिन, यह संभव नहीं हो सका। आइआइटी रुड़की के पूर्व पीएचडी छात्र मनीष पांडे के अनुसार अफगानिस्तान में जिस तरह के हालात हैं उससे वे भी चिंतित हैं।
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