अफगानी छात्रों को सता रही चिंता, तालिबान की सत्ता के बाद किस दिशा में जाएगा देश; जानें- और क्या है कहना

अफगानी छात्रों को ये चिंता सता रही है कि तालिबान की सत्ता के बाद आखिर देश किस दिशा में जाएगा। आइआइटी रुड़की की एक छात्रा ने कहा अब मैं अपनी पीएचडी पूरी कर पाऊंगा या नहीं और मेरी नौकरी रहेगी या नहीं इसको लेकर भी चिंता सता रही है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sat, 21 Aug 2021 04:33 PM (IST) Updated:Sat, 21 Aug 2021 04:33 PM (IST)
अफगानी छात्रों को सता रही चिंता, तालिबान की सत्ता के बाद किस दिशा में जाएगा देश; जानें- और क्या है कहना
अफगानी छात्रों को सता रही चिंता, तालिबान की सत्ता के बाद किस दिशा में जाएगा देश।

रीना डंडरियाल रुड़की। 'अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता आने के बाद हमारा देश किस दिशा में जाएगा, इसको लेकर मैं चिंतित हूं। साथ ही, अब मैं अपनी पीएचडी पूरी कर पाऊंगा या नहीं और मेरी नौकरी रहेगी या नहीं, इसको लेकर भी चिंता सता रही है।' यह बातें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की से पीएचडी कर रहे अफगानिस्तान के छात्र फिदा मोहम्मद ने दैनिक जागरण से बातचीत में कही। 

आइआइटी रुड़की में इस समय पीएचडी और पीजी पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले सात अफगानी छात्र कैंपस में रह रहे हैं। वहीं तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने और वहां पर कोहराम मचाने के बाद से ये छात्र अपने देशवासियों व परिवार की सुरक्षा और खुद के भविष्य को लेकर चिंता में हैं। आइआइटी रुड़की के जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभाग से पीएचडी कर रहा अफगानिस्तान का कंधार निवासी छात्र फिदा मोहम्मद का कहना है कि उनके देश में इस समय जो हालात हैं वह उसकी रोजाना अपने पिता और भाइयों से खबर ले रहे हैं।

इसके अलावा फेसबुक, वाट्सएप के माध्यम से भी वहां हो रहे घटनाक्रम की जानकारी ली जा रही है। छात्र ने बताया कि अब तक उनके पिता ने हमेशा उन्हें और उनके भाइयों को अपने देश में रहने और वहां की तरक्की के लिए मेहनत करने की सलाह दी है। लेकिन, पहली बार ऐसा हुआ है जब पिता उनके भाइयों को कह रहे हैं कि किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाओ। छात्र कहता है कि इस समय अफगानिस्तान के नागरिकों के पास न नौकरी है और न पैसा है।

वहीं लोग खुद को सुरक्षित भी महसूस नहीं कर रहे हैं। इसलिए कई लोग वहां से किसी दूसरे स्थान पर चले जाना चाहते हैं। छात्र कहता है कि अफगानिस्तान भारत जैसा नहीं बन सकता है। भारत में महिलाओं को उच्च शिक्षा हासिल करने, अपने तरीके से व्यवहार करने सहित अन्य बातों की आजादी है, जबकि अफगानिस्तान की परिस्थितियां काफी अलग हैं।

छात्र फिदा मोहम्मद ने बताया कि जुलाई से उसकी सैलरी नहीं आ रही है। ऐसे में उसकी पीएचडी पूरी हो पाएगी भी या नहीं इसको लेकर भी दुविधा है। उल्लेखनीय है कि आइआइटी रुड़की में पीएचडी और पीजी पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले अफगानिस्तान के छात्रों की कुल संख्या 58 है। इनमें से 31 छात्रों ने इस साल प्रथम सेमेस्टर में दाखिला लिया था।

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