आचार्य बालकृष्ण ने कहा- डीआरडीओ की 2-डीजी पतंजलि के शोध का नतीजा

पतंजलि योगपीठ के महामंत्री और मुख्य कार्याधिकारी आचार्य बालकृष्ण का दावा है कि कोरोना महामारी की रोकथाम और इलाज में कारगर मानी जा रही डीआरडीओ की 2-डीजी दवा पतंजलि योगपीठ के पिछले वर्ष किए गए शोध का परिणाम है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 29 May 2021 11:05 AM (IST) Updated:Sat, 29 May 2021 11:05 AM (IST)
आचार्य बालकृष्ण ने कहा- डीआरडीओ की 2-डीजी पतंजलि के शोध का नतीजा
आचार्य बालकृष्ण ने कहा- डीआरडीओ की 2-डीजी पतंजलि के शोध का नतीजा।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री और मुख्य कार्याधिकारी आचार्य बालकृष्ण का दावा है कि कोरोना महामारी की रोकथाम और इलाज में कारगर मानी जा रही डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन) की 2-डीजी (2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज) दवा पतंजलि योगपीठ के पिछले वर्ष किए गए शोध का परिणाम है। पतंजलि योगपीठ ने वर्ष 2020 में विश्वस्तर पर इस शोध का प्रकाशन किया था और सबसे पहले दुनिया को बताया था कि यह दवा कोरोना के इलाज और नियंत्रण में कारगर है। इस शोध का अब तक एक लाख से अधिक विशेषज्ञ अध्ययन कर चुके हैं। आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि पतंजलि योगपीठ की टीम के शोध के आधार पर डीआरडीओ ने दवा तो विकसित कर ली, लेकिन पतंजलि योगपीठ, उसके शोधकर्ताओं और आयुर्वेद को इसका वाजिब श्रेय अब तक नहीं दिया।

‘दैनिक जागरण’ से बातचीत में उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के फैलाव के साथ ही पतंजलि योगपीठ ने योगगुरु बाबा रामदेव के दिशा निर्देशों के तहत जनवरी 2020 में ही इसके कारगर इलाज की खोज के लिए शोध आरंभ कर दिया था। इसी शोध का एक परिणाम पतंजलि योगपीठ की दवा कोरोनिल है। पतंजलि रिसर्च सेंटर के प्रमुख डा. अनुराग वार्ष्‍णेय के निर्देशन में डा. पल्लवी ठाकुर और उनकी टीम के आठ शोधकर्ताओं ने इस विषय पर पांच सप्ताह तक शोध किया। शोध में टीम ने पाया कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शरीर में वायरस से संक्रमित कोशिकाओं को ग्लूकोज के टूटने से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा न मिले तो कुछ ही समय में यह कोशिकाएं मृत हो जाती हैं। इसके साथ ही वायरस भी समाप्त हो जाता है। ऐसे में वायरस को शरीर में संक्रमण फैलाने या नुकसान पहुंचाने का मौका नहीं मिलता।

डा. वार्ष्‍णेय ने बताया कि डा. पल्लवी ठाकुर की टीम के शोध के आधार पतंजलि योगपीठ इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अगर ऐसी कोई दवा विकसित की जाए जो आभास तो ग्लूकोज का दे पर, व्यवहार ग्लूकोज की तरह न करें तो इससे संक्रमित कोशिकाओं और वायरस को जीवित रहने के लिए आवश्यक ऊर्जा नहीं मिलेगी। इसके अभाव में वायरस भी खत्म हो जाएगा। आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि पतंजलि योगपीठ ने 2-डीजी से संबंधित अपना शोध मेडिकल जर्नल (एनल्स आफ द नेशनल ऐकेडमी आफ मेडिकल साइंसेज) में प्रकाशन के लिए मार्च 2020 में भेज दिया था। जल्द ही यह शोध प्रकाशित होने वाला है। पतंजलि योगपीठ के शोध के आधार पर डीआरडीओ के स्तर से 2-डीजी दवा बनाए जाने की उन्हें खुशी है।

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