कारोबारी ने फंदे से लटककर दी जान, सुसाइड नोट में लिखी ये बात
हरिद्वार स्थित एक धर्मशाला में रुके व्यापारी ने फांंसी लगाकर जान दे दी। पुलिस ने शव को परिजनों को सौंप दिया है।
हरिद्वार, जेएनएन। कर्ज से परेशान मेरठ के एक चमड़ा कारोबारी ने उत्तरी हरिद्वार की एक धर्मशाला में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। कमरे से सुसाइड नोट भी मिला है। जिसमें लिखा गया है 'माफ करना भाइयों, मैं आपका पैसा नहीं लौटा पाया।' पुलिस की सूचना पर परिजन दोपहर मेरठ से हरिद्वार पहुंच गए। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया।
पुलिस के मुताबिक उत्तरी हरिद्वार की शांति निकेतन धर्मशाला में शास्त्रीनगर मेरठ निवासी लज्जाराम सागर पुत्र गंगा दास ने कमरा लिया था। आधार कार्ड जमा करते हुए धर्मशाला कर्मचारियों ने उसे कमरा नंबर 110 में ठहराया था। रविवार सुबह कमरे का दरवाजा नहीं खुला। कर्मचारियों ने दरवाजा खटखटाया, लेकिन अंदर कोई हलचल नहीं हुई। तब धर्मशाला कर्मचारियों को अनहोनी का शक हुआ और उन्होंने सप्तऋषि पुलिस चौकी पर पहुंचकर सूचना दी।
चौकी प्रभारी पवन डिमरी ने धर्मशाला कर्मचारियों की मदद से दरवाजा तुड़वाया तो देखा अंगर युवक चादर के सहारे फांसी पर लटका हुआ था। पुलिस ने शव को कब्जे में लिया। कमरे की तलाशी लेने पर एक सुसाइड नोट बरामद हुआ। जिसमें लिखा गया था 'कृपया माफ करना भाइयों, मैं आपका पैसा नहीं लौटा पाया।' पुलिस ने लज्जाराम के परिजनों को सूचना दी। रविवार दोपहर तक परिजन हरिद्वार पहुंच गए।
उन्होंने पुलिस को बताया कि लज्जाराम का मेरठ में चमड़े का कारोबार था। पिछले करीब एक साल से कारोबार मंदा चल रहा था। जिस कारण उसके सिर पर कुछ लोगों का कर्ज हो गया। कुछ दिन से वह मानसिक रूप से भी परेशान थे। माना जा रहा है कि शायद इसी कारण उन्होंने खुदकुशी की है।