धूल फांक रही एक करोड़ की 14 वेंटिलेटर मशीनें

कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए सिविल अस्पताल में बनाया जा रहा आइसीयू एक साल बाद भी वेंटिलेटर पर ही है। इससे कोरोना संक्रमित मरीजों को या तो निजी अस्पताल या फिर हरिद्वार अस्पताल में रेफर किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 08:12 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 08:12 PM (IST)
धूल फांक रही एक करोड़ की 14 वेंटिलेटर मशीनें
धूल फांक रही एक करोड़ की 14 वेंटिलेटर मशीनें

संवाद सहयोगी, रुड़की: कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए सिविल अस्पताल में बनाया जा रहा आइसीयू एक साल बाद भी वेंटिलेटर पर ही है। इससे कोरोना संक्रमित मरीजों को या तो निजी अस्पताल या फिर हरिद्वार अस्पताल में रेफर किया जा रहा है। आइसीयू के लिए आई एक करोड़ रुपये से ज्यादा की 14 वेंटिलेटर मशीनें भी धूल फांक रही हैं।

पिछले साल कोरोना संक्रमण के समय सिविल अस्पताल रुड़की की तीसरी मंजिल पर आइसीयू बनाने का प्रस्ताव आया था, ताकि कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार किया जा सके। सिविल अस्पताल रुड़की में आइसीयू का काम शुरू हुआ। साथ ही अस्पताल के आइसीयू के लिए 14 वेंटिलेटर मशीनें भी आई थी। यहां तक कि मुख्यमंत्री ऑनलाइन आइसीयू वार्ड का उद्घाटन भी कराया था। बाद में आइसीयू वार्ड को अपडेट करने का काम भी शुरू हुआ। लेकिन एक साल होने के बाद भी सिविल अस्पताल रुड़की में आइसीयू वार्ड का काम पूरा नहीं हो पाया है। जिसके चलते एक करोड़ से भी अधिक खर्च कर खरीदी गई वेंटिलेटर मशीनें अस्पताल में धूल फांक रही है। कोरोना की दूसरी लहर चरम पर है। लगातार केस बढ़ रहे हैं। कोरोना संक्रमित मरीजों की हालत बिगड़ने पर उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है। या फिर उन्हें हरिद्वार भेजा जाता है। शहरवासियों का कहना है कि यदि सिविल अस्पताल रुड़की में आइसीयू वार्ड शुरू हो जाता, तो कोरोना संक्रमित मरीजों को हालत बिगड़ने पर उन्हें हायर सेंटर रेफर करने के बजाय यहीं पर उपचार मिल सकता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार डॉ. एसके झा ने बताया कि सिविल अस्पताल रुड़की में जल्द ही आइसीयू वार्ड तैयार हो जाएगा, जिसके बाद मरीजों को रुड़की अस्पताल में ही उपचार मिल सकेगा।

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