युवा कल्याण नीति को दिया जा रहा अंतिम रूप

प्रदेश सरकार युवा कल्याण नीति को अंतिम रूप देने जा रही है। इसके लिए निदेशक युवा कल्याण विभाग जीएस रावत की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है। यह समिति नीति को लेकर मिले सुझावों का अध्ययन करने के बाद इनमें से प्रमुख बिंदुओं को चिह्नित करेगी।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 02:03 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 02:03 PM (IST)
युवा कल्याण नीति को दिया जा रहा अंतिम रूप
प्रदेश सरकार युवा कल्याण नीति को अंतिम रूप देने जा रही है।

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश सरकार युवा कल्याण नीति को अंतिम रूप देने जा रही है। इसके लिए निदेशक युवा कल्याण विभाग जीएस रावत की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है। यह समिति नीति को लेकर मिले सुझावों का अध्ययन करने के बाद इनमें से प्रमुख बिंदुओं को चिह्नित करेगी। मकसद यह कि नीति को इस प्रकार बनाया जाए ताकि इसमें शामिल बिंदुओं पर धरातल में काम हो सके।

प्रदेश में युवा कल्याण नीति पर तकरीबन तीन वर्ष से काम चल रहा है। दरअसल, प्रदेश में पहली बार वर्ष 2011 में युवा नीति बनाई गई। इस नीति में युवाओं को दो आयुवर्ग में बांटा गया। छह से 14 वर्ष के एक वर्ग और 35 वर्ष से कम आयु के युवाओं का अलग वर्ग बनाया गया। नीति में इन दोनों वर्गो के सर्वांगीण विकास का खाका खींचा गया। मकसद यह कि वे स्वयं के साथ ही देश के विकास में भी सहभागी बन सकें। इसी तरह दूसरे आयुवर्ग के युवाओं के लिए रोजगार के साथ ही देश के विकास में उनकी भूमिका सुनिश्चित करने की बात कही गई। इस नीति के तहत युवाओं के विकास के लिए स्वयं सेवी संस्थाओं के साथ ही सेवायोजन एवं प्रशिक्षण, शिक्षा, खेल व स्वास्थ्य आदि विभागों की सामूहिक जिम्मेदारी सुनिश्चित की गई।

अफसोस यह रहा कि कि विभागों के आपसी तालमेल में कमी के चलते युवा नीति अपने उद्देश्य में सफल नहीं हुई। ऐसे में इस नीति में संशोधन की जरूरत महसूस की गई। वर्ष 2018 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) का एक प्रतिनिधिमंडल उत्तराखंड आया था। इस प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के विभिन्न विभागों, गैर सरकारी संस्थाओं और सिविल सोसायटी के सदस्यों से विचार विमर्श कर एक रिपोर्ट तैयार की। इस नीति को अंतिम रूप देने से पहले सभी विभागों व स्वयं सहायता समूहों से सुझाव भी आमंत्रित किए गए। इसके आधार पर युवा कल्याण विभाग ने एक प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा।

शासन में जब इसका अध्ययन हुआ तो यह पाया गया कि इस नीति का दायरा काफी बढ़ा दिया गया है। इस पर सचिव युवा कल्याण बीके संत ने इसके लिए ठोस प्रस्ताव बनाने को निदेशक युवा कल्याण विभाग की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। यह समिति जल्द अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेंगी। इसके बाद इसे कैबिनेट के सम्मुख लाया जाएगा।

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