वनों को पारंपरिक सीमाओं से आगे बढ़ाना होगा

जागरण संवाददाता, देहरादून: दून में जुटे भारतीय वन सेवा (आइएफएस) के वर्ष 19

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Feb 2018 03:01 AM (IST) Updated:Thu, 22 Feb 2018 03:01 AM (IST)
वनों को पारंपरिक सीमाओं से आगे बढ़ाना होगा
वनों को पारंपरिक सीमाओं से आगे बढ़ाना होगा

जागरण संवाददाता, देहरादून: दून में जुटे भारतीय वन सेवा (आइएफएस) के वर्ष 1982 बैच के अधिकारियों ने वनों के संरक्षण और संवर्धन पर विचार साझा किए। विशेषकर वन शासन, नीतियों और कार्यक्रमों में सुधार जैसे समकालीन मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई।

वर्ष 1982 बैच के सेवारत और सेवानिवृत्त आइएफएस अधिकारी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (आइजीएनएफए) की ओर से 'अल्पतम सरकार, अधिकतम शासन-सुशासन स्थापना में वानिकी' विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में जुटे थे। प्रतिभागियों ने जोर देते हुए कहा कि वन प्रशासन में परिवर्तन और अनुकूलन के साथ वनों को पारंपरिक सीमाओं से आगे ले जाना होगा। इसी तरह वनों के दायरे में निरंतर इजाफा किया जा सकता है। साथ ही यह राय कायम की गई कि पारिस्थितिक सुरक्षा को अक्षुण्ण बनाए रखने की जरूरत है। क्योंकि आज देश के वनों के समक्ष जलवायु परिवर्तन की चुनौती लगातार बढ़ रही है। कार्यशाला के बाद अधिकारी वर्ष 2016 बैच के परिवीक्षार्थियों से मिले और उन्हें उन कैडरों के विषय में प्रत्यक्ष जानकारी दी, जिसमें वे भविष्य में अपनी सेवाएं देंगे। इस अवसर पर महानिदेशक वन एवं विशेष सचिव सिद्धांत दास, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आइसीएफआरई) के महानिदेशक डॉ. एससी गैरोला, अकादमी के निदेशक डॉ. शशि कुमार, आइसीएफआरई के पूर्व महानिदेशक डॉ. जीएस रावत, एके वहल, एमसी घिल्डियाल, डॉ. एसपी आनंद कुमार आदि उपस्थित रहे।

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