World Tourism Day 2020: यहां की हसीन वादियों में आएं और दूर करें कोरोना का तनाव, जन्नत से कम नहीं हैं ये पर्यटन स्थल

World Tourism Day 2020 तनाव को दूर करने के लिए देवभूमि सबसे ज्यादा मुफीद है। प्राकृतिक सौंदर्य समेत उत्तराखंड की अलौकिक छटा और सुहावना मौसम भला किसे नहीं लुभाएगा। तीर्थाटन और पर्यटन के लिहाज से यहां अनगिनत रमणीक स्थल हैं जो किसी परिचय के मोहताज नहीं।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 09:13 AM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 07:14 PM (IST)
World Tourism Day 2020: यहां की हसीन वादियों में आएं और दूर करें कोरोना का तनाव, जन्नत से कम नहीं हैं ये पर्यटन स्थल
यहां की हसीन वादियों में आएं और दूर करें कोरोना का तनाव।

देहरादून, विजय जोशी। World Tourism Day 2020 कोरोना काल के बीच तनाव को दूर करने के लिए देवभूमि सबसे ज्यादा मुफीद है। प्राकृतिक सौंदर्य समेत उत्तराखंड की अलौकिक छटा और सुहावना मौसम भला किसे नहीं लुभाएगा। तीर्थाटन और पर्यटन के लिहाज से यहां अनगिनत रमणीक स्थल हैं, जो किसी परिचय के मोहताज नहीं। कोरोना महामारी के कारण उत्तराखंड में पर्यटन का पीक सीजन बेहद ठंडा रहा, लेकिन अब तमाम रियायतें मिलने और मानसून सीजन लगभग खत्म होने के बाद यहां पर्यटन स्थलों के फिर से गुलजार होने की उम्मीद को पंख लग गए हैं। मौसम के अनुकूल होने के साथ ही अक्टूबर पर्यटकों के लिए बेहद मुफीद है।

स्वागत को तैयार पहाड़ों की रानी

मसूरी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण जाना जाता है। यही वजह है कि गढ़वाल हिमालय की तलहटी में स्थित मसूरी को पहाड़ों की रानी कहा जाता है। समुद्र तल से करीब 7000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है मसूरी। यहां की प्राकृतिक सुंदरता इसे हनीमून के लिए बहुत लोकप्रिय स्थल बनाती है। अगर आप हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों के साथ हरे भरे ढलानों के खूबसूरत नजारों का आनंद लेना चाहते हैं तो मसूरी आपके स्वागत के लिए तैयार है। ये शहर ब्रिटिश काल के दौरान एक लोकप्रिय अवकाश स्थल था। यहां पर फैले ब्रिटिश अवशेषों को देखकर ब्रिटिश काल की वास्तुकला का अनुमान लगाया जा सकता है। इसे यमुनोत्री और गंगोत्री के धार्मिक केंद्रों के प्रवेश द्वार के रूप में भी जाना जाता है।

योग के साथ रोमांच का केंद्र ऋषिकेश

गंगा और चंद्रभागा के अभिसरण के साथ हिमालय की तलहटी में ऋषिकेश कई प्राचीन मंदिरों, लोकप्रिय कैफे, योग आश्रम और साहसिक खेलों जैसे आकर्षणों की वजह से पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। ऋषिकेश में व्हाइट वॉटर राफ्टिंग उद्योग के बढ़ने, कैंपिंग और कैफे स्पॉट की संख्या बढ़ने के कारण, ऋषिकेश अलग-अलग जरूरतों वाले लोगों के लिए एक आदर्श पर्यटन स्थल बन चुका है। ऋषिकेश गंगा नदी के पवित्र तट पर स्थित है, यहां पर आध्यात्मिकता, योग, ध्यान और आयुर्वेद सिखाने के लिए कई आश्रम हैं। पिछले कुछ सालों में ऋषिकेश को भारत में एडवेंचर स्पोट्र्स के केंद्र के रूप में भी विकसित किया गया है। ऋषिकेश सर्दियों के मौसम में यात्रा करने के लिए एक आदर्श पर्यटन स्थल है, क्योंकि 20 डिग्री सेल्सियस और छह डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान के साथ ऋषिकेश की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद बढ़ जाता है।

लैंसडौन की छटा देख हो जाएंगे अभिभूत

पहाड़ियों के बीच स्थित लैंसडौन एक ऐसा पर्यटन स्थल है, जिसको ज्यादातर लोग नहीं जानते। समुद्र तल से 5670 फीट की ऊंचाई पर स्थित लैंसडौन एक अछूता, प्राचीन नगर है जो भीड़- भाड़ से बिल्कुल दूर है। लैंसडौन को भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल रेजिमेंट के घर के रूप में भी जाना-जाता है। अगर आप इस आकर्षक स्थल की यात्रा करेंगे तो यहां आपको अंग्रेजों के समय के भवन भी मिलेंगे। इस पर्यटन स्थल का नाम लैंसडौन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लैंसडौन के नाम पर रखा गया है। जो शीतकाल में अपने चारों ओर बर्फ से ढके पहाड़ों और हरे-भरे जंगलों से घिरा रहता है। यहां वैसे तो गर्मियों में मौसम सबसे अनुकूल होता है, लेकिन अक्टूबर-नवंबर में साफ आसमान और घने हरे जंगल आपको अभिभूत कर देंगे।

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फूलों की घाटी में रम जाएगा मन

चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी पर्वत शृंखलाओं से घिरी हुई है। याहां औषधियों, वनस्पतियों और जीव जंतुओं के कारण प्रकृति की अद्भुत छटा नजर आती है। मानवीय दखल से दूर यह स्वर्ग की भूमि शीतकालीन में चारों ओर बर्फ से ढकी रहती है। ग्रीष्मकाल में पूरी घाटी मनमोहक फूलों से सजी रहती है। जब बरसात का मौसम शुरू होता है, तो घाटी अपने फूलों के मुखौटे को चित्रित करती है और पूरी जगह एक रंगीन पैलेट की तरह चमकती है।

यह दिव्य स्थान कुछ दुर्लभ और लुप्तप्राय जीवों का घर भी है। यहां लाइम बटरफ्लाई, हिमालयन ब्लैक बियर, हिमालयन वेसल, एशियाटिक ब्लैक डीयर, स्नो लेपर्ड, मस्क डीयर, रेड फॉक्स जैसे वन्यजीव रहते हैं। फूलों की घाटी जाने वाले पर्यटकों के लिए गोविंद घाट तक मोटर मार्ग की सुविधा है। जो ट्रेक का शुरुआती पड़ाव है, गोविंदघाट से 16 किलोमीटर का ट्रैक शुरू होता है।

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