Uttarakhand Politics: उत्तराखंड कांग्रेस में भी कार्यकारी अध्यक्षों का फार्मूला, पढ़िए पूरी खबर

उत्तराखंड में कांग्रेस विधायक दल के नए नेता और प्रदेश संगठन में नए बदलाव को लेकर फैसला 25 दिन गुजरने के बाद खत्म होने की संभावना है। उत्तराखंड में भी पंजाब की तर्ज पर कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के फार्मूले पर अमल करने की तैयारी है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 03:41 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 03:41 PM (IST)
Uttarakhand Politics: उत्तराखंड कांग्रेस में भी कार्यकारी अध्यक्षों का फार्मूला, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड में भी पंजाब की तर्ज पर कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के फार्मूले पर अमल करने की तैयारी है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में कांग्रेस विधायक दल के नए नेता और प्रदेश संगठन में नए बदलाव को लेकर फैसला 25 दिन गुजरने के बाद खत्म होने की संभावना है। उत्तराखंड में भी पंजाब की तर्ज पर कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के फार्मूले पर अमल करने की तैयारी है। गुरुवार को पार्टी हाईकमान इस प्रकरण पर स्थिति स्पष्ट कर सकता है।

उत्तराखंड में कांग्रेस विधायक दल के नए नेता और प्रदेश अध्यक्ष पद पर बदलाव को लेकर फैसला पंजाब प्रकरण के निपटारे के बाद होने की उम्मीद लगाई जा रही थी। यह मामला अब निपट चुका है। हालांकि अब तकरीबन एक महीना पूरा होने जा रहा है। बीती 26 जून से दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान के निर्देश पर यह कसरत प्रारंभ हुई थी। बताया जा रहा है कि उत्तराखंड में भी पंजाब की तर्ज पर संगठन में बदलाव को अंजाम दिया जा सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस महासचिव हरीश रावत को पंजाब प्रभारी की जिम्मेदारी से मुक्त कर उत्तराखंड में चुनाव संचालन समिति की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

2022 में विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर जातीय व क्षेत्रीय संतुलन साधने के लिए प्रदेश संगठन में गढ़वाल व कुमाऊं मंडलों से कार्यकारी अध्यक्षों की तैनाती करने के कयास भी लगाए जा रहे हैं। फैसले के मामले में गेंद अब पूरी तरह से पार्टी हाईकमान के पाले में है। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय एवं पूर्व विधायक गणेश गोदियाल अभी दिल्ली में ही डेरा डाले हुए हैं।

अब गुरुवार को उत्तराखंड को लेकर फैसला होने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है। इस मामले में पूछने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि नए नेता प्रतिपक्ष के चयन के मामले में पार्टी नेतृत्व को फैसला लेना है। विधायक दल की ओर से इस बारे में पहले ही प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को फैसला लेने के लिए अधिकृत किया जा चुका है।

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