Uttarakhand Election 2022: तो इस बार महिलाओं को टिकटों में मिलेगी ज्यादा हिस्सेदारी
Uttarakhand Election 2022 उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में मातृशक्ति की खासी अहम भूमिका रही मगर इसके बाद अब तक हुए चार विधानसभा चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल ने उन्हें बहुत ज्यादा मौका नहीं दिया। हालांकि हर बार महिलाएं चुनाव जीत कर विधायक बनती आई हैं पर संख्या कम।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में मातृशक्ति की खासी अहम भूमिका रही, मगर इसके बाद अब तक हुए चार विधानसभा चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल ने उन्हें बहुत ज्यादा मौका नहीं दिया। हालांकि हर बार महिलाएं चुनाव जीत कर विधायक बनती आई हैं, मगर इनकी संख्या सीमित ही रही है। इस बार राजनीतिक परिदृश्य इस मायने में कुछ बदला हुआ नजर आ रहा है। सत्तारूढ़ भाजपा के साथ ही मुख्य विपक्ष कांग्रेस की तरफ से महिलाओं को चुनाव में ज्यादा भागेदारी देने की बात उठ रही है।
उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के लगभग सवा साल बाद वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में चार महिलाओं को जीत मिली और वे विधायक बनीं। इनमें दो को भाजपा व दो को कांग्रेस से विधायक बनने का अवसर मिला। भाजपा से विजया बड़थ्वाल व आशा नौटियाल तो कांग्रेस से डा इंदिरा हृदयेश व अमृता रावत विधानसभा पहुंचीं। वर्ष 2007 के दूसरे विधानसभा चुनाव में भी जीत दर्ज करने वाली महिलाओं का आंकड़ा चार पर ही सिमटा रहा। तब कांग्रेस से अमृता रावत और भाजपा से विजया बड़थ्वाल, आशा नौटियाल एवं बीना महराना को विधायक बनने का मौका मिला।
वर्ष 2012 में हुए तीसरे विधानसभा चुनाव में निर्वाचित महिला विधायकों की संख्या पांच तक जा पहुंची। इनमें कांग्रेस से चार विधायक डा इंदिरा हृदयेश, अमृता रावत, सरिता आर्य व शैला रानी रावत शामिल रहीं। भाजपा से विजया बड़थ्वाल एकमात्र महिला विधायक चुनी गईं। हालांकि तीसरी विधानसभा में अलग-अलग कारणों से हुए उप चुनाव के बाद महिला विधायकों का आंकड़ा सात तक पहुंच गया। कांग्रेस से रेखा आर्य व ममता राकेश उप चुनाव में जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचीं।
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वर्ष 2017 के चौथे विधानसभा चुनाव में फिर पांच महिलाएं निर्वाचित होकर विधानसभा सदस्य बनीं। इनमें कांग्रेस से डा इंदिरा हृदयेश, ममता राकेश शामिल रहीं, जबकि भाजपा से ऋतु खंडूड़ी, रेखा आर्य व मीना गंगोला विधायक बनीं। इस विधानसभा में हुए उप चुनावों के बाद दो अन्य महिलाओं को विधायक बनने का मौका मिला। ये दोनों उप चुनाव भाजपा ने जीते और मुन्नी देवी व चंद्रा पंत विधायक के रूप में चौथी विधानसभा की सदस्य बनीं। चार विधानसभाओं में महिला विधायकों में से डा इंदिरा हृदयेश, अमृता रावत, बीना महराना, रेखा आर्य को ही मंत्री बनने का मौका मिल पाया है।
अब जबकि उत्तराखंड पांचवें विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ा है, महिलाओं को चुनाव में टिकटों की ज्यादा हिस्सेदारी की बात उठ रही है। भाजपा महिला मोर्चा की हाल ही में देहरादून में हुई राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में 30 फीसद टिकट महिलाओं को देने की मांग उठाई गई। उधर, प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 40 फीसद टिकट महिलाओं को देने का एलान किया है तो माना जा रहा है कि उत्तराखंड में भी इसका कुछ असर नजर आएगा। अगर ऐसा होता है तो चंद महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस से पिछले चार चुनावों के मुकाबले ज्यादा महिला प्रत्याशी मैदान में नजर आ सकती हैं।
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