महिलाएं एक साथ निभा रही मां और ड्यूटी का फर्ज
एक महिला कभी मां होने का फर्ज निभाती है तो कभी पत्नी तो कभी बहन। यदि वह कामकाजी हो तो उसके कार्यक्षेत्र के साथ-साथ उसका उत्तरदायित्व भी बढ़ जाता है लेकिन वह फिर भी हालातों से हार नहीं मानती। बल्कि लड़कर उनका सामना करती है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: एक महिला कभी मां होने का फर्ज निभाती है तो कभी पत्नी, तो कभी बहन। यदि वह कामकाजी हो तो उसके कार्यक्षेत्र के साथ-साथ उसका उत्तरदायित्व भी बढ़ जाता है, लेकिन वह फिर भी हालातों से हार नहीं मानती। बल्कि लड़कर उनका सामना करती है। इसलिए नारी को शक्ति का पर्याय माना जाता है। मातृत्व दिवस के मौके पर हम आपको ऐसी ही महिलाओं से मिलाने जा रहे हैं जो एक तरफ मां की ममता तो दूसरी ओर मजबूती से वैश्विक महामारी के दौरान ड्यूटी का फर्ज भी अदा कर रही हैं।
कर्म को पूजा मानकर फर्ज निभा रही कुसुम
कुसुम दिव्येदी दून मेडिकल कॉलेज में पिछले 12 सालों से बतौर के स्टाफ नर्स अपनी सेवाएं दे रही हैं। इन दिनों कुसुम कोविड के आईसीयू वार्ड में कोरोना से संक्रमित मरीजों की देखभाल कर रही है। इस मुश्किल वक्त में वह सिर्फ अपनी ड्यूटी नहीं निभा रही बल्कि अपनी डेढ़ साल की बेटी की पूरी देखभाल भी कर रही हैं। कुसुम बताती हैं कि पिछले 12 सालों में बीता हुआ सवा साल उनके लिए सबसे मुश्किल साबित हुआ है। पिछले साल जब कोरोना ने दस्तक दी तो उनकी बेटी 6 महीने भर की थी और उन्हें कोरोना संक्रमित मरीजों की देखभाल करने में लग गई। इस साल की स्थिति और भी भयावह हो गई है लेकिन अभी वह कोरोना वार्ड में डटी हुई हैं। कुसुम देहराखास में अपनी 60 वर्षीय सासू मां के साथ रहती हैं उनका बड़ा बेटा 10 वर्ष का है। मजबूरी ऐसी कितना परिवार से दूर रह सकती हैं, ना हे ड्यूटी से मुंह मोड़ सकती हैं। इसलिए वह सभी सावधानियों के साथ हर दिन अस्पताल और घर यह सभी जिम्मेदारियों को मैनेज कर रही। कुसुम कहती हैं कि कर्म ही सबसे बड़ी पूजा है इसलिए वह अपने फर्ज को निभाते हुए परिवार की देखभाल को हर संभव प्रयास कर रही हैं कुसुम के पति भी श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में एंटी विभाग में ऑडियोलॉजिस्ट के पद पर कार्यरत हैं।
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डॉक्टर और मां दोनों के कर्तव्यों का कर रही हैं निर्वहन
दून मेडिकल कॉलेज में सर्जिकल विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर नेहा महाजन इस मुश्किल दौर में डॉक्टर और मां होने का फर्ज एक साथ निभा रही हैं। उनके लिए जितनी जरूरी बच्चों की देखभाल है उतना ही जरूरी मरीजों की सेवा। साल दो 2018 से दून मेडिकल कॉलेज में काम कर रही डॉक्टर नेहा महाजन की डिलीवरी भी पिछले साल कोरोना काल में ही हुई। बेटी अभी 1 साल की ही हुई थी कि कोरोना ने दोबारा अपना कहर ढाना शुरू कर दिया। दिल मुश्किल हालात में उन्होंने अपनी ड्यूटी और बच्चों की देखभाल एक साथ करना तय किया। डॉ. नेहा ने बताया कि उनका एक छह साल का बेटा भी है। बच्चे छोटे होने के कारण उनसे दूर रहना भी संभव नहीं दोनों को ही मां की जरूरत होती है। इसलिए बच्चों से दूर रहना तो संभव नहीं लेकिन पूर्व में संक्रमण से बचाव के लिए सभी सावधानी बरतकर को अस्पताल और बच्चों दोनों की देखभाल कर रही हैं। डॉ नेहा के पति डॉ नितिन भी दून मेडिकल कॉलेज में ईएनटी विभाग में कार्यरत हैं। दोनों लोग सुबह आठ बजे से शाम तक अस्पताल में अपना फर्ज निभा रहे होते हैं। नेहा ने बताया कि उनके साथ उनकी सासू मां रहती हैं इसलिए बच्चों की देखभाल में थोड़ी मदद भी हो जाती है। डॉ. नेहा ने बताया कि उनके परिवार और अस्पताल के दूसरे साथियों से मिलने वाली प्रेरणा ही उन्हें दोनों फर्ज एक साथ निभाने का जज्बा देती हैं।
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