सहभागिता की मिसाल पेश कर रही हैं यहां की महिलाएं, जानिए इनके स्वावलंबी बनने की कहानी

सहभागिता से न केवल सुख-दुख बांटा जाता है बल्कि आर्थिक स्वावलंबन भी हासिल किया जा सकती है। सामूहिक रूप से फूलों की खेती शुरू करके रायवाला क्षेत्र की महिलाओं ने यह मिसाल पेश की है। इन महिलाओं ने 10 बीघा खेत में फूलों की खेती शुरू की है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 09:50 AM (IST) Updated:Tue, 29 Sep 2020 01:14 PM (IST)
सहभागिता की मिसाल पेश कर रही हैं यहां की महिलाएं, जानिए इनके स्वावलंबी बनने की कहानी
सहभागिता से न केवल सुख-दुख बांटा जाता है, बल्कि आर्थिक स्वावलंबन भी हासिल किया जा सकती है।

रायवाला (देहरादून), दीपक जोशी। सहभागिता से न केवल सुख-दुख बांटा जाता है, बल्कि आर्थिक स्वावलंबन भी हासिल किया जा सकती है। सामूहिक रूप से फूलों की खेती शुरू करके रायवाला क्षेत्र की महिलाओं ने यह मिसाल पेश की है। चकजोगीवाला में एकता स्वयं सहायता से जुड़ी इन महिलाओं ने 10 बीघा खेत में फूलों की खेती शुरू की है। हरिपुरकलां में महिलाएं अचार, पहाड़ी दालों की पैकिंग आदि कार्य कर स्वावलंबी बन रही हैं।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत गठित एकता स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने आर्थिक स्वावलंबन के लिए कृषि का रास्ता चुना है। इसके लिए परंपरागत धान-गेहूं की खेती के बजाय मुद्रादायिनी फसल के रूप में फूलों की खेती करने का निर्णय लिया गया। सबसे पहले गेंदा फूल की पौध तैयार की गई।

समूह की अध्यक्ष सीमा ने बताया कि सभी महिलाएं पौध उगाने से लेकर बेचने तक सभी कार्य मिलजुल करेगीं। फिलहाल 10 बीघा खेत चुनकर उसमें फूल लगाए गए हैं। हरिद्वार और ऋषिकेश में फूलों की काफी मांग है। उनको उम्मीद है कि फूलों की खेती से सभी महिलाएं को अच्छा मुनाफा मिलेगा।

सेनेटरी पैड बनाने की योजना

शिव स्वयं सहायता समूह की आरती मांझी साहबनगर में सेनेटरी पैड बनाने की मशीन लगा रही है। इससे पहले वह बाजार से दो हजार सेनेटरी पैड लेकर आई और विक्रय कर पैसा कमाया।

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कोरोना काल में प्रभावित हुआ काम 

हरिपुर कला में उमंग ग्राम संगठन अचार पापड़, सर्फ, साबुन बनाने और पहाड़ी दाल की पैकिंग कर बेचने का काम कर रहा है। हालांकि, कोरोना काल में काम प्रभावित, लेकिन महिलाओं ने अपने घरों से यथासंभव इस प्रक्रिया को जारी रखा, ताकि कुछ ना कुछ आर्थिक लाभ मिलता रहे।

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