व्यवसायियों को अब बीच कैंप खुलने का इंतजार

जागरण संवाददाता ऋषिकेश मुनिकीरेती-कौड़ियाला ईकोटूरिज्म जोन स्थित गंगा में राफ्टिंग की

By JagranEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 09:34 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 05:15 AM (IST)
व्यवसायियों को अब बीच 
कैंप खुलने का इंतजार
व्यवसायियों को अब बीच कैंप खुलने का इंतजार

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: मुनिकीरेती-कौड़ियाला ईकोटूरिज्म जोन स्थित गंगा में राफ्टिंग की अनुमति जारी होने के बाद गंगा का सन्नाटा तो टूट गया है। लेकिन यहां बीच कैंप न खुलने से व्यवसायियों में अभी भी मायूसी है। उनको उम्मीद है कि सरकार जल्द इस ओर भी निर्णय लेगी।

मुनिकीरेती से कौड़ियाला तक एनजीटी के आदेश पर गंगा से 100 मीटर की दूरी पर करीब 150 बीच कैंप हटा दिए गए थे। बाद में केंद्र और राज्य की एक समिति ने पर्यावरण, प्रदूषण बोर्ड, वन विभाग, राजस्व विभाग के सक्षम अधिकारियों के साथ संबंधित कैंपिग साइट का व्यापक निरीक्षण किया और करीब 25 साइट को चलाने पर अपनी सहमति प्रदान की थी। कितु आज तक इन 25 साइट का सन्नाटा नहीं टूट पाया है। कारण यही है कि इनके लिए अब तक कोई नियमावली नहीं बन पाई है। 150 बीच कैंप या तो अधिकतर बंद हो गए हैं या फिर कुछ ने निजी भूमि पर इनका संचालन शुरू कर दिया है। बंद होने का कारण यही है कि यह गंगा से निर्धारित दूरी के अंतर्गत बने थे।

वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पहले ही यहां पिछले छह माह से पर्यटन व्यवसाय और साहसिक पर्यटन ठप पड़ा है। गंगा में निर्धारित शर्तों के साथ राफ्टिंग की अनुमति जारी करने से इस व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों स्थानीय नागरिकों के चेहरों की रौनक लौटने लगी है। कितु यहां कैंपिग के जरिए पर्यटन व्यवसाय करने वाले लोग अब भी पर्यटन मुख्यालय के आदेश का इंतजार कर रहे हैं।

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चार वर्षों से कैंपिग साइट का मामला अधर में लटका है। जब सरकार द्वारा अधिकृत कमेटी जांच कर चुकी है तो इस पर पर्यटन मुख्यालय को शीघ्र निर्णय लेना चाहिए। यहां निजी भूमि पर तो कैंप संचालित हो रहे हैं। कितु राजस्व भूमि पर कैंप का संचालन नहीं हो पा रहा है।

- दिनेश भट्ट, अध्यक्ष गंगा नदी राफ्टिंग रोटेशन समिति।

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पर्यटन राजस्व विभाग की टीम कुछ राजस्व भूमि पर साइट का निरीक्षण कर चुकी है। जिला पर्यटन कार्यालय के स्तर पर कोई भी मामला लंबित नहीं है। तीन बड़ी साइट ऐसी चिह्नित की गई है जिसमें एक से अधिक कैंप का संचालन हो सकता है। पूरी रिपोर्ट बनाकर प्रदेश मुख्यालय को भेजी जा चुकी है। वहीं से इस पर अगला निर्णय होना है।

- एसएस राणा, जिला पर्यटन विकास अधिकारी टिहरी गढ़वाल

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