जल आंदोलन बने जन आंदोलन: स्वामी चिदानंद

गंगा सप्तमी के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने सात्विक गंगा स्नान कर मां गंगा का अभिषेक किया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 07:08 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 07:08 PM (IST)
जल आंदोलन बने जन आंदोलन: स्वामी चिदानंद
जल आंदोलन बने जन आंदोलन: स्वामी चिदानंद

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: गंगा सप्तमी के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने सात्विक गंगा स्नान कर मां गंगा का अभिषेक किया। उन्होंने कहा कि गंगा एक नदी नहीं बल्कि हम भारतीयों की मां है। गंगा में शव को प्रवाहित करने पर सरकार को रोक लगानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि मां गंगा एकमात्र ऐसी नदी है जो तीनों लोकों स्वर्गलोक, पृथ्वीलोक और पातल लोक से होकर बहती है। तीनों लोकों की यात्रा करने वालों को त्रिपथगा से संबोधित किया जाता है। राजा भगीरथ जो कि इक्ष्वाकु वंश के एक महान राजा थे, उन्होंने कठोर तपस्या कर मां गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर अपने पूर्वजों को निर्वाण प्रदान कराने हेतु घोर तप किया था। राजा भगीरथ की वर्षों की तपस्या के बाद, मां गंगा भगवान शिव की जटाओं से होती हुईं पृथ्वी पर अवतरित हुईं। उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर जिस स्थान पर मां गंगा अवतरित हुई वह पवित्र उद्गम स्थान गंगोत्री है। मां गंगा ने न केवल राजा भागीरथ के पूर्वजों के उद्धार किया बल्कि तब से लेकर आज तक वह असंख्या व्यक्तियों को जीवन और जीविका प्रदान कर रही हैं। भारत की लगभग 40 प्रतिशत आबादी गंगा जल पर आश्रित हैं।

हरिद्वार में लगने वाला विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला कुंभ भी मां के पावन तट पर आयोजित होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु गंगा के जल में डुबकी लगाने के लिये एकत्र होते हैं। पवित्र गंगा में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता हैं। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि मां गंगा को स्पर्श करने मात्र जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति और मोक्ष प्राप्त होता है। इसलिए मृतकों की राख को उनके परिवार जन पवित्र गंगा जल में विसर्जित करते हैं। परंतु अब तो गंगा के तटों पर शवों का अंतिम संस्कार, आंशिक रूप से जले हुए शव और वर्तमान समय में तो सीधे जल समाधि दी जा रही हैं तथा शवों को गंगा में बहाया जा रहा है। जिससे जल प्रदूषित हो रहा है और जल की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा हैं। जिससे जलीय जीवन के साथ-साथ मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ सकता है, इसे तत्काल सरकार और समाज द्वारा रोका जाना चाहिए। परमार्थ निकेतन आश्रम के पूज्य संत स्वामी सदानंद महाराज की पुण्यतिथि पर परमार्थ निकेतन के पूज्य संतों और ऋषिकुमारों ने भावाभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

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