Water Conservation: बारिश की बूंद-बूंद सहेज रही रागिनी, घर की छत पर बनाया सिस्टम

Water Conservation समाज के लिए कुछ करने का जज्बा और ईमानदारी से प्रयास हों तो परिणाम भी सुखद ही मिलता। ऐसा ही कर दिखाया है रागिनी बहुगुणा ने। रागिनी ने घर की छत पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग शेड और नीचे तालाब बनाकर बारिश के पानी को सहेजने का काम किया।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 04:25 PM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 04:25 PM (IST)
Water Conservation: बारिश की बूंद-बूंद सहेज रही रागिनी, घर की छत पर बनाया सिस्टम
बारिश की बूंद-बूंद सहेज रही रागिनी, घर की छत पर बनाया सिस्टम।

जागरण संवाददाता, विकासनगर। Water Conservation समाज के लिए कुछ करने का जज्बा और ईमानदारी से प्रयास हों तो परिणाम भी सुखद ही मिलता है। ऐसा ही कर दिखाया है रागिनी बहुगुणा ने। रागिनी ने जल संरक्षण की दिशा में कार्य करते हुए घर की छत पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग (वर्षा जल संचयन) शेड और नीचे तालाब बनाकर बारिश के पानी को सहेजने का काम किया। तालाब की वजह से स्रोत रिचार्ज होने से आसपास के हैंडपंप में भी पानी की आपूर्ति बराबर बनी रहती है। बारिश के दौरान संरक्षित पानी से किचन गार्डन हरा भरा है, जो दूसरों को भी जल संरक्षण की प्रेरणा दे रहा है।

देहरादून के विकासनगर के हरिपुर ढकरानी निवासी रागिनी बहुगुणा वर्तमान में देहरादून के ईसी रोड स्थित मंगला देवी इंटर कॉलेज में व्यायाम शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं। 20 अगस्त 1961 में डोभालवाला देहरादून में जन्मी रागिनी अपनी ड्यूटी से समय निकालकर जल संरक्षण के लिए कार्य कर रहीं हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने हरिपुर ढकरानी में अपने घर से ही की। उनके पति सूर्यप्रकाश बहुगुणा लंबे समय से धान की जैविक खेती कर रहे हैं। वह बताती हैं कि किसान परिवार से जुड़ी होने के कारण वह पानी का महत्व बखूबी जानती हैं। 

बरसात का पानी बेकार बहते देख करीब तीन साल पहले वर्ष 2018 में उन्होंने अपने हरिपुर ढकरानी स्थित मकान के ऊपर रेन वाटर हार्वेस्टिंग शेड बनवाया। बारिश के पानी की बूंद-बूंद के संरक्षण को शेड से पाइप के जरिए पानी को एकत्रित करने के लिए अपने खेत में बड़ा तालाब बनवाया। जिसमें बरसात का पानी जमा किया जा रहा है। शिक्षिका रागिनी बताती हैं कि हमेशा पानी से लबालब रहने वाले तालाब के कारण किचन गार्डन में सब्जी उत्पादन के लिए जरुरी अच्छी नमी बनी रहती है।

तालाब का पानी साफ रहे, उसमें मछली पालन भी किया जा रहा है। तालाब में जमने वाली काई को साल में एक बार साफ करवाकर उसे जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। काई से बनी जैविक खाद के कारण सब्जियों का वास्तविक टेस्ट मिलता है। तालाब में जमा पानी से साल भर पेड़, पौधों को पानी मिल रहा है। बरसात के पानी के संरक्षण के लिए बनाए गए तालाब की वजह से स्रोत रिचार्ज होने से आसपास के हैंडपंप में भी पानी की आपूर्ति बराबर बनी रहती है।

शिक्षिका रागिनी कहतीं हैं कि जल संरक्षण की दिशा में हर महिला को काम करना चाहिए, जिससे आने वाले समय में पेयजल की समस्या का भी समाधान होगा। वह बताती हैं कि कॉलेज में ड्यूटी के बाद जो भी समय उन्हें मिलता है वह जल संरक्षण के बारे में ही सोचती हैं और दूसरों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करती हैं। यदि महिला में जज्बा हो तो वह ड्यूटी, घर की जिम्मेदारी निभाने के साथ ही जल संरक्षण की दिशा में भी काम कर सकती हैं।

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