उत्‍तराखंड: भू-कानून पर समिति का हो रहा है इंतजार, पढ़‍िए पूरी खबर

देवस्थानम बोर्ड के बाद अब भूमि कानून में संशोधन को निरस्त करने के लिए सरकार पर दबाव बढ़ गया है। सरकार को भू-कानून में परीक्षण के लिए बनाई गई समिति की रिपोर्ट का इंतजार है। समिति की अगली बैठक सात दिसंबर को होनी है।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 07:22 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 08:38 PM (IST)
उत्‍तराखंड: भू-कानून पर समिति का हो रहा है इंतजार, पढ़‍िए पूरी खबर
देवस्थानम बोर्ड के बाद अब भूमि कानून में संशोधन को निरस्त करने के लिए सरकार पर दबाव बढ़ गया है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: देवस्थानम बोर्ड के बाद अब भूमि कानून में संशोधन को निरस्त करने के लिए सरकार पर दबाव बढ़ गया है। सरकार को भू-कानून में परीक्षण के लिए बनाई गई समिति की रिपोर्ट का इंतजार है। समिति की अगली बैठक सात दिसंबर को होनी है। प्रदेश में असंतोष का कारण बने कानूनों में बदलाव को लेकर सरकार अपना रुख लचीला कर चुकी है। साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जनहित में इन कानूनों में बदलाव को लेकर सहमति जता चुके हैं।

दरअसल 2022 के चुनाव से पहले सरकार ऐसे सभी कानूनों पर पुनर्विचार कर रही है, जिन्हें लेकर जन असंतोष दिखाई पड़ रहा है। देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अधिनियम को वापस लेने का फैसला लिया जा चुका है। अब उम्मीद की जा रही है कि भूमि कानून में किए गए संशोधन को भी रद किया जाएगा।

राज्य की आवश्यकता देखकर लिया जाएगा निर्णय

उत्तराखंड में मौजूदा भू-कानून में हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर संशोधन की मांग की जा रही है। इसे लेकर अभियान छेड़ा जा चुका है। धामी सरकार ने भूमि कानून में संशोधन पर पुनर्विचार के लिए पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में समिति गठित की है। समिति बीते महीनों में बैठक कर चुकी है। भूमि कानून को लेकर राज्य की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर मंथन किया जा रहा है। समिति को अभी तक विभिन्न स्तर पर की गई रायशुमारी के बाद 160 से अधिक सुझाव प्राप्त हो चुके हैं।

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बैठक में रिपोर्ट को अंतिम रूप देने पर बन सकती है सहमति

समिति की अगली बैठक सात दिसंबर को प्रस्तावित है। बैठक में प्राप्त सुझावों पर समिति के सदस्य विचार-विमर्श करेंगे। समिति अध्यक्ष सुभाष कुमार का कहना है कि समिति की रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा। सात दिसंबर की बैठक में रिपोर्ट को अंतिम रूप देने पर सहमति बनने के संकेत उन्होंने दिए। समिति के सदस्य अजेंद्र अजय कहते हैं कि उत्तराखंड में भूमि कानून में संशोधन आवश्यक है। पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन की वजह से जमीन बंजर पड़ी है। भूमि कानून में संशोधन के बाद जुड़े प्रविधानों का लाभ लेकर राज्य के बाहर के व्यक्ति भूमि को खुर्द-बुर्द करने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ जिलों में ऐसी शिकायतें मिल चुकी हैं, जिनका स्थानीय स्तर पर परीक्षण किया जा रहा है।

विशेषज्ञों से ले रहे सुझाव

उन्होंने कहा कि भूमि कानून के परीक्षण को गठित समिति सामने आने वाले तमाम विषयों का गंभीरता से अध्ययन कर रही है। विशेषज्ञों से भी सलाह ली जा रही है। भूमि कानून को राज्य की जनता के हितों को देखते हुए जरूरी संशोधनों पर समिति की बैठक में निर्णय लिया जाएगा।

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