यहां शहरों की तरह ही गांवों में भी होगी साफ-सफाई की व्यवस्था, जानिए

एनजीटी की सख्ती का असर कहें या कुछ और लेकिन अब राज्य की 7791 ग्राम पंचायतों में भी शहरी क्षेत्रों की भांति साफ-सफाई के लिए व्यवस्थाएं की जाएंगी।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sun, 20 Sep 2020 06:30 AM (IST) Updated:Sun, 20 Sep 2020 07:28 AM (IST)
यहां शहरों की तरह ही गांवों में भी होगी साफ-सफाई की व्यवस्था, जानिए
यहां शहरों की तरह ही गांवों में भी होगी साफ-सफाई की व्यवस्था, जानिए

देहरादून, राज्य ब्यूरो। इसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सख्ती का असर कहें या कुछ और, लेकिन अब राज्य की 7791 ग्राम पंचायतों में भी शहरी क्षेत्रों की भांति साफ-सफाई के लिए व्यवस्थाएं की जाएंगी। सचिव प्रभारी पंचायतीराज एचसी सेमवाल ने इस संबंध में सभी जिला पंचायतीराज अधिकारियों को पत्र भेजकर यह व्यवस्था सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। इस बात पर भी जोर दिया है कि पंचायतों में राज्य वित्त समेत अन्य मदों में प्राप्त बजट से साफ-सफाई और स्वच्छता को विशेष तवज्जो दी जाए।

उत्तराखंड के 92 शहरी निकायों में स्वच्छता पर खास फोकस किया गया है। विशेषकर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत घर-घर से कूड़ा उठान सुनिश्चित करने के साथ ही जैविक और अजैविक कचरे को अलग-अलग किया जा रहा है। कचरे को एक संसाधन के तौर पर लेने की कड़ी में इससे जैविक खाद, प्लास्टिक कचरे की रीसाइक्लिंग जैसे कदम उठाए गए हैं। कूड़े से बिजली बनाने की दिशा में शुरुआत की जा रही है।

अलबत्ता, गांवों में कूड़ा निस्तारण के लिहाज से ऐसी पहल का अभाव है। हालांकि, 15वें वित्त आयोग, राज्य चतुर्थ वित्त आयोग के साथ ही अन्य मदों में मिलने वाली राशि से सॉलिड वेस्ट मैनेमजेंट और स्वच्छता पर भी ध्यान केंद्रित करने को कहा गया है, लेकिन इसे लेकर गांवों में गंभीरता का अभाव है। इस बीच हाल में ही एनजीटी ने एक मामले में सुनवाई करते हुए राज्य को निर्देश दिए कि शहरों की भांति गांवों में भी साफ-सफाई पर खास फोकस किया जाए। 

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इससे उत्तराखंड में भी हलचल हुई और शासन संजीदा हुआ है। प्रभारी सचिव पंचायतीराज ने इसी कड़ी में सभी जिला पंचायतीराज अधिकारियों को पत्र भेजा है। उनसे कहा गया है कि वे ग्राम पंचायतों को स्वच्छता संबंधी कार्यों के लिए प्रेरित करने के साथ ही इसकी निरंतर मॉनीटरिंग भी सुनिश्चित करें।

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