देहरादून में पहली खुराक के लिए वैक्सीन खत्म, टीकाकरण केंद्र हुए कम

कोरोना के खिलाफ जंग में वैक्सीन को बड़ा हथियार माना जा रहा है। पर वैक्सीन की कमी टीकाकरण अभियान में बार-बार व्यवधान डाल रही है। देहरादून जनपद में पहली खुराक के लिए वैक्सीन खत्म हो गई है। जिसके चलते टीकाकरण केंद्र कम किए गए हैं।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 04:24 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 04:24 PM (IST)
देहरादून में पहली खुराक के लिए वैक्सीन खत्म, टीकाकरण केंद्र हुए कम
देहरादून जनपद में पहली खुराक के लिए वैक्सीन खत्म हो गई है।

जागरण संवाददाता, देहरादून : कोरोना के खिलाफ जंग में वैक्सीन को बड़ा हथियार माना जा रहा है। पर वैक्सीन की कमी टीकाकरण अभियान में बार-बार व्यवधान डाल रही है। देहरादून जनपद में पहली खुराक के लिए वैक्सीन खत्म हो गई है। जिसके चलते टीकाकरण केंद्र कम किए गए हैं। रविवार के लिए 18-44 आयुवर्ग और 45 वर्ष से अधिक के लिए जिले में 30 ही सेशन साइ बनाई गई है। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. सुधीर पांडेय ने बताया कि रविवार को करीब 30 हजार वैक्सीन मिलने की उम्मीद है। स्वास्थ्य महानिदेशालय से जिले में रोजाना 15 हजार व्यक्तियों को टीकाकरण करने के निर्देश दिए गए हैं। रविवार को और वैक्सीन मिल जाएगी। जिसके बाद सोमवार को टीकाकरण तेज किया जाएगा।उन्होंने बताया कि दूसरी खुराक के लिए वैक्सीन की दिक्कत नहीं है। करीब 25 हजार कोवैक्सीन की खुराक बाकी है।

क्लीनिक पर छापा, नोटिस चास्पा

जिलाधिकारी डा. आशीष कुमार श्रीवास्तव के निर्देश पर आइएसबीटी के पास गुप्ता कालोनी में एक क्लीनिक पर प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छापेमारी की। एसीएमओ डा. संजीव दत्त की अगुआई में टीम क्लीनिक पहुंची, पर क्लीनिक बंद मिला। उन्होंने बताया कि शिकायत मिलने पर डीएम के निर्देश पर छापेमारी की गई थी। क्लीनिक बंद मिलने पर नोटिस चस्पा कर दिया गया है। तीन दिन में जवाब नहीं मिलने पर आगे कार्रवाई होगी।

यह भी पढ़ें- जिलाधिकारी ने अधिकारियों को दी हिदायत, स्मार्ट सिटी के कार्यों में पानी न होने दें जमा

इंटर्न चिकित्सकों ने किया तीन घंटे कार्य बहिष्कार

 प्रदेश के तीन सरकारी मेडिकल कालेजों के इंटर्न चिकित्सकों ने स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है। शनिवार को पचास फीसद इंटर्न चिकित्सकों ने दो बजे से पांच बजे तक कार्य बहिष्कार किया। साथ ही कालेजों में प्रदर्शन भी किया। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण को रोकने में इंटर्न भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वे अपनी जान की परवाह किए बगैर मरीजों की सेवा में जुटे हैं। इसके बावजूद उनका स्टाइपेंड अद्र्धकुशल श्रमिक की न्यूनतम मजदूरी से भी कम है। उन्हें 7500 रुपये स्टाइपेंड मिलता है जो बेहद कम है। वह भी डेढ़ माह से नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि अन्य राज्यों में 15-17 हजार और केंद्र के अस्पतालों में साढ़े 23 हजार स्टाइपेंड मिलता है। ऐसे में राज्य में भी स्टाइपेंड बढाया जाना चाहिए।

इधर, दून मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना का कहना है कि इंटर्न के स्टाइपेंड के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।

यह भी पढ़ें- बरसात में कभी भी कहर बरपा सकती है रिस्पना और बिंदाल नदी, 30 बस्तियों पर खतरा

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

chat bot
आपका साथी