ऋषिकेश में नहीं पहुंची वैक्सीन, आज शुरू नहीं हो पाया टीकाकरण

ऋषिकेश में भारत सरकार के कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए टीकाकरण अभियान दो दिन से बंद है। आज सोमवार को जिला मुख्यालय से वैक्सीन ना पहुंच पाने के कारण एसपीएस राजकीय चिकित्सालय में टीकाकरण शुरू नहीं हो पाया है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 02:05 PM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 02:05 PM (IST)
ऋषिकेश में नहीं पहुंची वैक्सीन, आज शुरू नहीं हो पाया टीकाकरण
ऋषिकेश में भारत सरकार के कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए टीकाकरण अभियान दो दिन से बंद है।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। भारत सरकार के कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए टीकाकरण अभियान दो दिन से बंद है। जिला मुख्यालय से वैक्सीन ना पहुंच पाने के कारण एसपीएस राजकीय चिकित्सालय में टीकाकरण शुरू नहीं हो पाया है।एसपीएस राजकीय चिकित्सालय में करीब 20 हजार नागरिक टीकाकरण का लाभ उठा चुके हैं। शनिवार की शाम यहां वैक्सीन का स्टॉक समाप्त हो गया था। रविवार को भी काफी लोग टीकाकरण केंद्र से खाली लौट गए थे। 

सीएमएस डॉ. विजयेश भारद्वाज का कहना था कि रविवार शाम तक वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी तो सोमवार की सुबह टीकाकरण का कार्य फिर से शुरू कर दिया जाएगा। लेकिन चिकित्सालय को अब तक जिला मुख्यालय से वैक्सीन नहीं भेजी गई है। जिस कारण सोमवार को अभी तक टीकाकरण कार्य शुरू नहीं हो पाया है, जबकि टीकाकरण के लिए लोग यहां पहुंच रहे हैं।

राज्य कर्मचारियों को मिले गोल्डन कार्ड का लाभ

उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिव प्रसाद सेमवाल ने सरकार से गोल्डन कार्ड से कर्मचारियों के शीघ्र इलाज की व्यवस्था करने की मांग की है। शिव प्रसाद सेमवाल ने सरकार से तत्काल इलाज की सुविधा प्रदान करने के साथ इलाज करने वाले कर्मचारियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति दिलाए जाने की मांग भी उठाई। उन्होंने कहा कि पेंशनरों को भी गोल्डन कार्ड की खामियों के चलते परेशानी उठानी पड़ रही है। 

तीन महीने हो गए हैं, लेकिन अभी तक कर्मचारियों को गोल्डन कार्ड की स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही है, जबकि सरकार के खाते मे प्रति महीने 15 से 17 करोड़ रुपये गोल्डन कार्ड की सुविधा के जरिए जमा हो रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कर्मचारियों को ना तो ओपीडी की सुविधा मिल पा रही है। और ना ही भर्ती होने पर अस्पतालों में इलाज की सुविधा है। कोरोना से पीड़ित कर्मचारियों को अपने जेब से भुगतान करना पड़ रहा है।

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