परिंदों का स्वर्ग है उत्तराखंड, प्रवासियों का भी ख्याल

सीएमएस कॉप-13 की हुई परिचयात्मक बैठक में उत्तराखंड के वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने कहा जैवविविधता के मामले में धनी उत्तराखंड की पक्षी विविधता बेजोड़ है।

By Edited By: Publish:Sun, 16 Feb 2020 07:53 PM (IST) Updated:Mon, 17 Feb 2020 08:37 PM (IST)
परिंदों का स्वर्ग है उत्तराखंड, प्रवासियों का भी ख्याल
परिंदों का स्वर्ग है उत्तराखंड, प्रवासियों का भी ख्याल

देहरादून, राज्य ब्यूरो। जैवविविधता के मामले में धनी उत्तराखंड की पक्षी विविधता बेजोड़ है। भारत में पाई जाने वाली 1300 पक्षी प्रजातियों में से साढ़े सात सौ से ज्यादा उत्तराखंड में पाई जाती हैं। प्रवासी परिंदों के लिए यहां की धरती किसी स्वर्ग से कम नहीं है। न सिर्फ देश के अन्य राज्यों बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में मेहमान परिंदे यहां आते हैं। गुजरात की राजधानी गांधीनगर में सीएमएस कॉप-13 की रविवार को हुई परिचयात्मक बैठक में उत्तराखंड के वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि प्रवासी परिंदों के संरक्षण के लिए भी राज्य ने गंभीरता से कदम उठाए हैं।

संयुक्त राष्ट्र के कन्वेंशन ऑनमाइग्रेटरी स्पीशीज (सीएमएस) यानी प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर समझौते को लेकर गांधीनगर 13 वीं कॉन्फ्रेंस आफ पार्टीज (कॉप) का आयोजन हो रहा है। 'प्रवासी प्रजातियां पृथ्वी को जोड़ती हैं और हम सब मिलकर उनका अपने घर में स्वागत करते हैं' थीम पर केंद्रित इस कॉन्फ्रेंस का सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन करेंगे।

उत्तराखंड के वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत भी विभाग के आला अफसरों के साथ सीएमएस कॉप-13 में भाग ले रहे हैं। आयोजन में भारत समेत 130 देशों के प्रतिनिधि शिरकत कर रहे हैं। रविवार को गांधीनगर में हुई परिचयात्मक बैठक में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के साथ ही उत्तराखंड के वन मंत्री डॉ.रावत ने भी हिस्सा लिया।

डॉ.रावत ने गांधीनगर से फोन पर 'दैनिक जागरण' को बताया कि परिचयात्मक बैठक के दौरान उन्होंने उत्तराखंड की पक्षी विविधता को रेखांकित किया। साथ ही प्रवासी परिंदों के संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी। इस कड़ी में उन्होंने आसन, झिलमिल झील, पवलगढ़ व नैना देवी कंजर्वेशन रिजर्व का जिक्र किया। साथ ही सुझाव दिया कि प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण के लिए सभी को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे।

सीएमएस कॉप में मौजूद उत्तराखंड के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी के अनुसार परिचयात्मक बैठक में तमाम देशों से आए प्रतिनिधियों ने एक सुर में कहा कि प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण को विश्व को एक घर बनाना होगा। इस बात पर जोर दिया गया कि जिस तरह जलवायु परिवर्तन को लेकर नीतियां बनाई गई हैं, ठीक वैसा ही प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण के मामले में भी होना चाहिए।

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19 को उत्तराखंड देगा प्रस्तुतीकरण

22 फरवरी तक चलने वाले सीएमएस कॉप-13 में उत्तराखंड वन विभाग की ओर से भी स्टाल लगाया गया है। वन विभाग के मुखिया पीसीसीएफ जय राज के अनुसार विभाग की ओर से 19 फरवरी को प्रस्तुतीकरण दिया जाएगा। इसके जरिये उत्तराखंड की जैवविविधता के साथ ही इसके संरक्षण को हुए अभिनव प्रयोगों व सफलता के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही परिंदों, हिम तेंदुआ, हाथी, बाघ समेत दूसरे वन्यजीवों के संरक्षण को उठाए गए कदमों के बारे में बताया जाएगा।

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