दिव्यांगों के जीवन को रोशन कर रहीं विजयलक्ष्मी, उनकी सेवा के लिए समर्पित किया जीवन

दृष्टिबाधित दिव्यांगों के लिए लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण की दस्तक के दौरान हालात बेहद चुनौतीपूर्ण रहे लेकिन इस दौर में कुछ ऐसे भी रहे हैं जो आगे आकर दिव्यांगों के लिए मददगार बने। इन्हीं में शामिल है विजयलक्ष्मी जोशी।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 04:41 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 04:41 PM (IST)
दिव्यांगों के जीवन को रोशन कर रहीं विजयलक्ष्मी, उनकी सेवा के लिए समर्पित किया जीवन
दिव्यांगों के जीवन को रोशन कर रहीं विजयलक्ष्मी।

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। दृष्टिबाधित दिव्यांगों के लिए लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण की दस्तक के दौरान हालात बेहद चुनौतीपूर्ण रहे, लेकिन इस दौर में कुछ ऐसे भी रहे हैं जो आगे आकर दिव्यांगों के लिए मददगार बने। इन्हीं में शामिल है विजयलक्ष्मी जोशी, जिन्होंने ना केवल लॉकडाउन में दिव्यांगजनों की मदद की, बल्कि आज भी वह दिव्यांगों का सहारा बनी हुई हैं। खासकर उन दृष्टिबाधित दिव्यांगों के लिए, जिनके सिर पर मां-बाप का साया भी नहीं है।

मार्च 2020 में लॉकडाउन हुआ तो उत्तरकाशी के तुनाल्का स्थित विजया पब्लिक एवं दृष्टिबाधितार्थ आवासीय विद्यालय में 30 दृष्टिबाधित दिव्यांग बच्चे भी फंस गए, लेकिन विद्यालय की संचालिका विजयलक्ष्मी जोशी ने इन बच्चों के लिए किसी तरह की कोई कमी नहीं होने दी। साथ ही इन बच्चों को कोरोना संक्रमण से भी बचाया। लॉकडाउन में जब कुछ ढील मिली तो 15 जून को 21 दृष्टिबाधित दिव्यांगों को उनके घर तक पहुंचाया। परंतु, दृष्टिबाधित दिव्यांगों में दो बालिकाएं और सात बालक ऐसे थे, जिनके घरों में उनके अनुकूल शौचालय, पढ़ने, मनोरंजन के साधन उपलब्ध नहीं थे। इसके अलावा दो दिव्यांग ऐसे थे जिनकी देखभाल करने वाला उनके घर में कोई भी नहीं है।

ऐसे में ये नौ दृष्टिबाधित दिव्यांग आवासीय विद्यालय में ही रहे। विजयलक्ष्मी भी अपने पति वीरेंद्र जोशी के साथ इसी आवासीय विद्यालय में रहती हैं। दंपती ने इन बच्चों को पूरा स्नेह दिया तथा उनका ख्याल रखा। इन बच्चों के खाने, रहने, खेलने पढ़ने में पूरा सहयोग दिया। विजयलक्ष्मी जोशी कहती हैं कि दृष्टिबाधित दिव्यांगों का विशेष ख्याल रखना पड़ता है। उनके लिए दिन-रात एक समान होती है, लेकिन हम प्यार, स्नेह, उत्साह से उनका ख्याल रखकर उनके मन को रोशन कर सकते हैं। 

इन बच्चों के घरों में इनके अनुकूल शौचालय नहीं है। इनकी देखभाल के लिए इनके घर में कोई व्यक्ति ना होने के कारण ये बच्चे अपने को अकेला महसूस करते हैं। लेकिन, कोरोना काल के दौरान आवासीय विद्यालय में इन बच्चों को लॉकडाउन में कंप्यूटर सिखाया गया। साथ ही इन बच्चों ने हारमोनियम, गिटार, बांसूरी, ढोलक और तबला आदि बजाना भी सिखाया गया। उपजिलाधिकारी चतर सिंह चौहान के सहयोग से राशन की व्यवस्था भी करायी। इन बच्चों को किसी तरह की परेशानी नहीं होने दी।

दिव्यांगों की सेवा में समर्पित किया जीवन

स्नातकोत्तर और बीएड तक शिक्षा ग्रहण करने वाली विजयलक्ष्मी जोशी ने दिव्यांगों के लिए ही अपना जीवन समर्पित कर दिया है। नौकरी करने की बजाय उन्होंने वर्ष 2007 में तुनाल्का गांव में दृष्टिबाधित बच्चों के लिए 8वीं तक का आवासीय विद्यालय आरंभ किया। जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 95 किलोमीटर दूर नौगांव ब्लॉक में तुनाल्का गांव विकासनगर-बड़कोट नेशनल हाईवे पर पड़ता है। दिव्यांगों की सेवा और उन्हें शिक्षित बनाने के कार्य में उनके पति भी उनका सहयोग करते हैं।

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