Pahadi Products: उत्‍तराखंड के पहाड़ी उत्पादों को इस तरह मिलेगा बाजार

Pahadi Products राज्य के विशिष्ट शिल्प उत्पाद जैसे ऐंपण ताम्र शिल्प रिंगाल काष्ठ शिल्प बैंबू नमदा कालीन मूंज पाटरी एवं वूलन उत्पाद विपणन के लिए उपलब्ध हैं। सरकार की योजना परवान चढ़ी तो उत्तराखंड के सभी प्रकार के पहाड़ी उत्पादों को अपना बाजार मिलेगा।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 07:47 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 07:47 PM (IST)
Pahadi Products: उत्‍तराखंड के पहाड़ी उत्पादों को इस तरह मिलेगा बाजार
सरकार की योजना परवान चढ़ी तो उत्तराखंड के सभी प्रकार के पहाड़ी उत्पादों को अपना बाजार मिलेगा।

जागरण संवाददाता, देहरादून : Pahadi Products सरकार की योजना परवान चढ़ी तो उत्तराखंड के सभी प्रकार के पहाड़ी उत्पादों को अपना बाजार मिलेगा। सरकार का उद्योग विभाग हिमाद्रि इम्पोरियम के माध्यम से यह उत्पाद देश-विदेश के पर्यटकों व सैलानियों को आसानी से उपलब्ध होगा। राज्य के उत्कृष्ट ‍शिल्‍प उत्पादों का हिमाद्रि‍ ब्रांड के अंतर्गत विभिन्न इम्पोरियमों के माध्यम से विपणन किया जा रहा है।

राज्य के विशिष्ट शिल्प उत्पाद जैसे ऐंपण, ताम्र शिल्प, रिंगाल, काष्ठ शिल्प, बैंबू, नमदा, कालीन, मूंज, पाटरी एवं वूलन उत्पाद विपणन के लिए उपलब्ध हैं। टैक्सटाइल उत्पादों में राज्य की स्थानीय कला ऐंपण का कार्य किया जा रहा है। ताम्र शिल्प से परंपरागत उत्पादों के साथ-साथ बाजार मांग के अनुरूप नवीन डिजाइनों के उत्पाद विकसित किए जा रहे हैं। राज्य के परंपरागत शिल्प कला के संरक्षण, संवद्र्धन एवं प्रोत्साहन के लिए पारंपरिक कला, संस्कृति की परंपरा को बनाए रखने और शिल्पियों की कल्पनाशीलता, योग्यता व कारीगरी को प्रोत्साहित करने की योजना सरकार ने बनाई है।

उद्योग मंत्री गणेश जोशी कहते हैं कि राज्य में स्थापित प्रतिष्ठित होटलों में शिल्प उत्पादों का प्रदर्शन व कैटालाग रखे जाने की व्यवस्था की जाय, ताकि राज्य में आने वाले पर्यटक यहां के शिल्प उत्पादों से परिचित हो सकें। विभागीय मंत्री कहते हैं इससे उत्तराखंड की लोककला को न केवल नया आयाम मिलने बल्कि इससे पारंपरिक कला से जुड़े नागरिकों को आर्थिकी सहयोग मिलेगा।

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उन्होंने कहा कि प्रदेशभर के सभी जिले अपनी पारंपरिक लोककला, कलाकृतियों, नक्कासी, हस्तशिल्प, पारपंरिक वाद्ययंत्रों को बनाने व बजाने के मामले में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखते हैं। इन्हें और अधिक लोकप्रिय बनाने व युवा पीढ़ी को लोककला व लोकसंगीत से जोड़ने का उद्देश्य भी इससे न केवल पूरा होगा बल्कि इसका अधिक से अधिक प्रचार प्रसार होगा। उद्योग विभाग व सिडकुल इस क्षेत्र में बड़े स्तर पर कार्य करेंगे ताकि बुनकरों को लाभ मिल सके।

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