परिवार और संस्कार पर आधारित है उत्तराखंड की संस्कृति

कुमाऊंनी और गढ़वाली कलाकारों का एक दल एसटी आयोग के उपाध्यक्ष गणेश सिंह मर्तोलिया के नेतृत्व में परमार्थ निकेतन पहुंचा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 07:29 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 07:29 PM (IST)
परिवार और संस्कार पर आधारित है उत्तराखंड की संस्कृति
परिवार और संस्कार पर आधारित है उत्तराखंड की संस्कृति

जागरण संवाददाता,ऋषिकेश: कुमाऊंनी और गढ़वाली कलाकारों का एक दल एसटी आयोग के उपाध्यक्ष गणेश सिंह मर्तोलिया के नेतृत्व में परमार्थ निकेतन पहुंचा। सभी कलाकारों ने स्वामी चिदानंद सरस्वती के सान्निध्य में उत्तराखंड की समृद्धि, शांति एवं आपदाओं के निवारण के लिए हवन कर मां गंगा का पूजन किया।

स्वामी चिदानंद सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती के सान्निध्य में कुमाऊंनी और गढ़वाली कलाकारों ने मां गंगा और हिमालय की वादियों को समर्पित संगीत की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर पहाड़ी कलाकारों की ओर से बनाए गए बांस के उत्पादों का भी प्रदर्शन किया गया। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव परमार्थ निकेतन में 100 से अधिक देशों के योग साधक आते हैं, उस समय पहाड़ के सभी कलाकार परमार्थ निकेतन आएं और मां गंगा के प्रति सभी कलाकारों का वाद्य समर्पण और दर्शन पूरे विश्व को होगा। उन्होंने कहा कि हमारे कलाकारों के परिवार हस्त शिल्प के माध्यम से जो घरेलू सामान बनाते हैं, उसकी प्रदर्शनी लगाई जाए, ताकि उत्तराखंड के उत्पादों को हम लोकल से ग्लोबल बाजार तक पहुंचा सकें। इससे सबसे परिवार का नाता बनेगा और रोजगार का प्रसार होगा।

उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय ग्रामीण उद्योग संघ की स्थापना गांधीवादी दृष्टिकोण स्वदेशी, स्वच्छता और सर्वोदय पर आधारित है। उत्तराखंड की संस्कृति परिवार, रोजगार और संस्कार का दर्शन पूरे विश्व को गंगा के पावन तट परमार्थ निकेतन से हो रहा है।

एसटी आयोग के उपाध्यक्ष गणेश सिंह मर्तोलिया ने कहा कि कलाकारों के दल में कई युवा अपनी कला के माध्यम से हस्तशिल्प को भी प्रोत्साहन दे रहे हैं। सभी कलाकारों का परमार्थ निकेतन आगमन भविष्य में अत्यधिक लाभकारी सिद्ध होगा। ढोल वादक लक्ष्मण सिंह पांगती ने कहा कि हम सालों से पहाड़ी कला का प्रदर्शन करते आ रहे हैं परन्तु आज हमारी कला को जो सम्मान मिला उससे हम सभी अभिभूत है। इस अवसर पर बागेश्वर, पिथौरागढ़ और कुमांऊ से कलाकार लवराज आर्य, नवीन राय, संजय कुमार, बलवंत कुमार, चन्द्र राय, मनोज कुमार, लवराज कुमार, धामसिंह, मोहन राय, दीवान राय, बलराम, मनोज, विक्रम राय, प्रताप राम, हरिसिंह, मनोज कुमार, दीवान राम, राजेन्द्र राम, धनपाल राय, कुंदन राय, उत्तम राम, भुपेश चंद्र, प्रताप राम, मनोज शाही कलाकारों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी।

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