Uttarakhand Weather Update: उत्तराखंड में नदियों के जलस्तर में कमी, मलबे से 170 सड़कें बंद

Uttarakhand Weather Update उत्तराखंड में बारिश के साथ ही मुश्किलों का दौर बरकरार है। हालांकि नदियों के जलस्तर में कमी आई लेकिन अब भी ये खतरे के निशान के करीब बह रही। बदरीनाथ व केदारनाथ हाईवे के साथ ही करीब 170 सड़कें मलबे से बंद हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 07:55 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 07:55 AM (IST)
Uttarakhand Weather Update: उत्तराखंड में नदियों के जलस्तर में कमी, मलबे से 170 सड़कें बंद
उत्तराखंड में नदियों के जलस्तर में कमी, मलबे से 170 सड़कें बंद।

जागरण टीम, देहरादून। Uttarakhand Weather Update उत्तराखंड में बारिश के साथ ही मुश्किलों का दौर बरकरार है। हालांकि नदियों के जलस्तर में कमी आई है, लेकिन अब भी ये खतरे के निशान के करीब बह रही हैं। बदरीनाथ व केदारनाथ हाईवे के साथ ही चमोली और पिथौरागढ़ जिलों में चीन सीमा को जोडऩे वाले मार्ग अब भी बंद हैं। इसके अलावा प्रदेश में करीब 170 से ज्यादा संपर्क मार्गों पर यातायात बाधित है। इसके अलावा यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग भी मलबा आने से सात घंटे बंद रहा। सड़कें बंद होने से करीब 500 गांवों का जिला मुख्यालयों से संपर्क कटा हुआ है। हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा का जलस्तर बढऩे से बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। वहीं पौड़ी जिले के रिखणीखाल ब्लाक के ग्राम डोबरिया में चारापत्ती लेकर घर लौट रही एक महिला बरसाती नदी के तेज बहाव में बह गई।

प्रदेश में गुरुवार से शुरू हुआ बारिश का सिलसिला अभी थमा नहीं है। हालांकि बारिश में कुछ कमी अवश्य आई है। ऋषिकेश से लेकर बदरीनाथ तक हाईवे पांच स्थानों पर मलबा आने से बंद है। वहीं केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग भी चार स्थानों पर बाधित है। पहाड़ों से गिर रहा मलबा चुनौती बना हुआ है। चमोली में 150 और रुद्रप्रयाग जिले में 80 से ज्यादा गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क कटा हुआ है।

शनिवार की अपेक्षा रविवार को नदियों के जलस्तर में कमी अवश्य आई, लेकिन रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी खतरे के निशान पर बह रही हैं। रुदप्रयाग में नदी किनारे रह रहे 26 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर भेजा गया है। वहीं ऋषिकेश और हरिद्वार में गंगा अब भी चेतावनी रेखा के करीब है। नदियों का जलस्तर बढऩे से आसपास के लोग दहशत में हैं। हरिद्वार के पास लक्सर क्षेत्र के खेतों में गंगा का पानी भर गया है। हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा घाट खाली करा दिए गए हैं। तटबंधों में हो रहे कटाव से दिक्कतें बढ़ रही हैं। प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है।

कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों में भी गढ़वाल जैसा ही हाल है। पिथौरागढ़ में तवाघाट-टनकपुर राष्ट्रीय राजमार्ग छठे दिन भी नहीं खोला जा सका। इस मार्ग पर करीब 100 से भी अधिक वाहन फंसे हुए हैं। जिले में 20 से ज्यादा संपर्क मार्ग बंद हैं। काली और गोरी नदी उफान पर हैं। उच्च हिमालय में सीता पुल के पास भूस्खलन से पुल पर खतरा गहराया है। बलुवाकोट में काली नदी के कटाव से शिशु मंदिर भवन खतरे में है। चम्पावत में शारदा बैराज में पानी अधिक होने से यहां के सभी 22 गेट खोल दिए गए हैं। इससे एनएचपीसी का विद्युत उत्पादन ठप हो गया। बागेश्वर में बारिश के बाद मलबे से 21 सड़कें बंद हैं।

मौसम विभाग के अनुसार फिलहाल मौसम के मिजाज में बदलाव की उम्मीद नहीं है। सोमवार को उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ में बारिश के आसार हैं और कहीं-कहीं आकाशीय बिजली गिरने की भी आशंका है।

टापू में फंसे 57 ग्रामीण

गंगा का जलस्तर बढ़ने से हरिद्वार जिले में लक्सर के समीप माड़ाबेला गांव के पास खेतों में काम कर रहे 57 ग्रामीण वहां फंस गए। सूचना मिलने पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी एसडीआरएफ और जल पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे और सभी को सुरक्षित निकाल लिया। दरअसल, गंगा के पार कई किसानों के खेत हैं। किसान गंगा का पार कर खेतों में आते जाते हैं। कुछ ने वहीं अपनी झोंपड़ियां बना रखी हैं। बीते दो दिनों से गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी। एसडीएम शैलेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि रविवार को मोटर बोट की मदद से 57 ग्रामीणों को रेस्क्यू किया गया है।

भूस्खलन से पालाल भुवनेश्वर गुफा का गेट ध्वस्त

गंगोलीहाट (पिथौरागढ़): बारिश के बीच पाताल भुवनेश्वर में भूस्खलन हो गया। इससे गुफा को जाने वाला पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त होने के साथ ही गुफा का एक गेट भी ध्वस्त हो गया। मार्ग के पास ग्रामीणों के खेत भी मलबे से पट गए हैं।

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