उत्तराखंड परिवहन निगम में आखिर किस काम के हैं ये नियम, जब कार्रवाई के नाम पर कुछ होना ही नहीं

रोडवेज को घाटे से उबारने और भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए प्रबंधन ने कार्रवाई के नियम तो बनाए लेकिन कार्रवाई के नाम पर होता कुछ नहीं। बेटिकट बस के मामलों में नियमित चालक-परिचालक यूनियनबाजी की धौंसपट्टी जमाकर बच निकलते हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 02:21 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 05:10 PM (IST)
उत्तराखंड परिवहन निगम में आखिर किस काम के हैं ये नियम, जब कार्रवाई के नाम पर कुछ होना ही नहीं
उत्तराखंड परिवहन निगम में आखिर किस काम के हैं ये नियम।

अंकुर अग्रवाल, देहरादून। रोडवेज को घाटे से उबारने और भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए प्रबंधन ने कार्रवाई के नियम तो बनाए, लेकिन कार्रवाई के नाम पर होता कुछ नहीं। बेटिकट बस के मामलों में नियमित चालक-परिचालक यूनियनबाजी की धौंसपट्टी जमाकर बच निकलते हैं और विशेष श्रेणी या संविदा चालक-परिचालक कार्रवाई के बावजूद सांठगांठ से फिर बहाल हो जाते हैं। यूं तो बेटिकट पर चालक और परिचालक के विरूद्ध सीधे एफआइआर का प्रविधान है, लेकिन एफआइआर होती कभी नहीं। यही वजह है कि रोडवेज को लगातार चपत लग रही और आर्थिक घाटा कम होने के बजाए बढ़ता जा रहा।

रोडवेज में बेटिकट यात्रा रोकने के लिए 15 जुलाई 2016 को नियमावली के तहत सख्त नियम लागू किए गए थे। इसमें बस में तीन से अधिक यात्रियों के पकड़े जाने पर न सिर्फ परिचालक पर एफआइआर दर्ज करने, बल्कि संविदा व विशेष श्रेणी चालक और परिचालक की बर्खास्तगी की कार्रवाई का प्रविधान किया गया था। प्रबंधन ने इस दौरान प्रवर्तन की कार्रवाई को पारदर्शी बना नॉन-स्टॉप के मामले में दो टीमों की रिपोर्ट अनिवार्य कर दी थी। दरअसल, प्रवर्तन की कार्रवाई में अकसर यूनियनबाजी के चक्कर में जानबूझकर चालक-परिचालक को फंसा देने के आरोप लगते थे। पहले एक टीम की रिपोर्ट पर कार्रवाई होती थी, लेकिन बाद में दो प्रवर्तन टीमों की रिपोर्ट पर कार्रवाई किए जाने का प्रविधान किया गया।

बेटिकट पर ये हैं नियम

1-तीन बेटिकट जिनकी राशि 250 रुपये तक होगी तो परिचालक का डिपो बदला जाएगा व उससे किराए की राशि का दस गुना वसूला जाएगा। यदि राशि 250 रुपये से अधिक है तो परिचालक के तमाम देय जब्त कर उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा।

2-यदि यात्री ने टिकट नहीं ली है और ऐसे यात्रियों की संख्या एक है तो प्रवर्तन टीम यात्री से किराया लेकर परिचालक की जांच करेगी। जांच के बाद परिचालक पर फैसला लिया जाएगा मगर यह शर्त वाल्वो, एसी व हाईटेक बसों में लागू नहीं होगी।

3-तीन से अधिक यात्री बेटिकट पर परिचालक के समस्त देय जब्त कर उससे दस गुना जुर्माना वसूला जाएगा। साथ ही नौकरी से बर्खास्त कर मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

4-यदि सीटिंग क्षमता से अधिक यात्री बस में हैं और उसमें तीन यात्री बेटिकट हैं तो ऐसे मामलों में जांच के बाद परिचालक पर कार्रवाई की जाएगी।

5-यदि एक कैलेंडर वर्ष में परिचालक दूसरी बार बेटिकट पकड़ा जाता है व दोनों बार के यात्रियों की संख्या मिलाकर तीन से ऊपर है तो उसकी सेवा समाप्त कर उससे दस गुना जुर्माना वसूला जाएगा।

6-बस में 500 किग्रा माल बिना बुक किए पकड़े जाने पर परिचालक से किराए का दस गुना जुर्माना वसूला जाएगा।

7- 500 किग्रा से अधिक माल टिकट बिना पकड़े जाने पर चालक-परिचालक के समस्त देय जब्त करने, दस गुना जुर्माना व उनकी सेवा समाप्त करने की कार्रवाई।

8-सामान बुक करने में नगों की संख्या में हेराफेरी पकड़े जाने पर जांच के उपरांत कार्रवाई होगी।

9-चेकिंग में बस न रोकने पर चालक की समस्त राशि जब्त कर उसकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी लेकिन कार्रवाई दो टीमों की रिपोर्ट पर होगी।

10-अनुबंधित वाल्वो, एसी व सामान्य बसों के चालकों द्वारा चेकिंग में बस नहीं रोकने पर बस आपरेटर के बिल में दस हजार रुपये की कटौती की जाएगी। दोबारा यही अपराध होने पर अनुबंध खत्म किया जाएगा।

11-तय मार्ग के बजाए मनमर्जी से रूट पर चलने, बाइपास या अन्य मार्ग पर बस संचालन पर चालक पर ढाई हजार रुपये जुर्माना लगेगा। दूसरी बार पकड़े जाने पर पांच हजार व तीसरी बार पकड़े जाने पर सेवा समाप्त कर दी जाएगी।

12-बस में लोड फैक्टर कम होने पर परिचालक पर चार बार तक जुर्माना जबकि पांचवी बार बर्खास्तगी का नियम।

13-आनलाइन बुकिंग यात्री को छोड़कर समय से पहले बस चलाने पर नियमित चालक-परिचालक का तबादला कर दिया जाएगा। संविदा व विशेष श्रेणी चालक व परिचालक की सेवा खत्म की जाएगी।

...तो नियमित नहीं कराते बेटिकट

रोडवेज ने सख्त नियम तो बनाए, लेकिन इन पर सवाल उठते रहे। दरअसल, आरोप हैं कि नियम सिर्फ संविदा व विशेष श्रेणी चालक और परिचालकों के लिए बने हैं। इनमें नियमित चालक और परिचालकों का कोई जिक्र नहीं है। सवाल लाजिमी भी है कि क्या नियमित परिचालक और चालक बेटिकट बस नहीं दौड़ाते। दर्जनों बेटिकट मामले ऐसे हैं, जिनमें नियमित परिचालक 30 से 35 सवारी बेटिकट में पकड़े गए। यही नहीं, बीते दिनों गुप्तकाशी मार्ग पर पकड़ी बस पर नियमित परिचालक और उसके बाद पुरोला मार्ग पर पकड़ी गई बस पर नियमित महिला परिचालक तैनात थी। अब रविवार को हरिद्वार में पकड़ी गई बस पर भी नियमित परिचालक ही तैनात था।

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