Uttarakhand Tourism: सर्दियों की गुनगुनी धूप बैठ देखिए हिमराज की दिलकश वादियां, जानें- कैसे पहुंचे लैंसडौन

Uttarakhand Tourism घूमने का प्लान बना रहे हैं तो उत्तराखंड में बहुत सी ऐसे पर्यटन स्थल हैं जो आपको सुकून और आनंद की अनुभूति के साथ ही रोमांच का भी सफर कराएंगे। इन्हीं में से एक है लैंसडौन। यहां के अद्भुद नजारें देख दोबारा यहां आने का मन करेगा।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 02:37 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 02:37 PM (IST)
Uttarakhand Tourism: सर्दियों की गुनगुनी धूप बैठ देखिए हिमराज की दिलकश वादियां, जानें- कैसे पहुंचे लैंसडौन
Uttarakhand Tourism: सर्दियों की गुनगुनी धूप बैठ देखिए हिमराज की दिलकश वादियां।

अजय खंतवाल, कोटद्वार। Uttarakhand Tourism हर किसी को घूमने का शौक होता है। छुट्टी मिलते ही वे बेहतरीन टूरिस्ट स्पाट का रुख करने लगते हैं। अगर आप भी घूमने का प्लान बना रहे हैं या आगे बनाएंगे तो उत्तराखंड को न भूलें। यहां बहुत सी ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जो आपको सुकून और आनंद की अनुभूति के साथ ही रोमांच का भी सफर कराएंगे। इन्हीं में से एक है लैंसडौन। यहां के अद्भुद नजारें देख दोबारा यहां आने का मन करता है। इनदिनों यहां पर्यटकों की आवाजाही तेज होने लगी है। वीकेंड पर क्षेत्र के होटलों में ढूंढे से कमरे नहीं मिल रहे। पर्यटक लैंसडौन की सुंदर वादियों में गुनगुनी धूप में बैठ हिमालय की विभिन्न पर्वतश्रृंखलाओं के नजारों का लुत्फ उठा रहे हैं।

जानिए लैंसडौन के बारे में

लैंसडौन गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंटल सेंटर का मुख्यालय है। 1887 में बसाए गए इस शहर का नाम तत्कालीन वायसराय लार्ड लैंसडाउन के नाम पर रखा गया था। चीड़, बांज और बुरांस से घिरे इस पर्यटक स्थल में वर्ष भर पर्यटकों की आवाजाही जारी रहती है।

लैंसडौन आएं तो यहां जरूर घूमें 

भुल्ला ताल

भुल्ला ताल एक बेहद ही खूबसूरत जगह है। ये सेना की ओर से बनाई गई झील है, जो पर्यटकों को अपनी ओर खींच लाती है। बाहर से आने वाले पर्यटक झील में नौकायान करने के साथ ही यहां के सुंदर प्राकृतिक नजारों का लुत्फ उठाते हैं।

टिफ-इन-टॉप

लैंसडौन में टिफ-इन-टॉप को भी पर्यटक बेहद पसंद करते हैं। यहां से हिमालय के ऊंचे हिमाच्छादित शिखरों की एक लंबी पर्वत श्रृंखला पूरब से पश्चिम तक नजर आती है। इतना ही नहीं इसकी दूसरी ओर बनी घाटियों का खूबसूरत नजारा भी मनमोह लेता है। बताया जाता है कि यहां आवाजाही का साधन नहीं था और लोग यहां टिफिन लेकर पहुंचते थे और सुंदर नजारों के बीच दोपहर का खाना खाते थे। इसी कारण इसका नाम टिफ-इन-टॉप पड़ा।

संग्रहालय

लैंसडौन में प्राकृतिक नजारों के साथ ही कई ऐतिहासिक स्थल भी हैं घूमने के लिए। इन्हीं में से एक है गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंटल सेंटर का संग्रहालय, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है। आपको बता दें कि इसकी स्थापना 1983 में हुई थी। सबसे पहले इसे रेजीमेंट के सूचना केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था।

देवदार के जंगल से घिरा ताड़केश्वर धाम

पर्यटन नगरी लैंसडौन धार्मिक पर्यटन के लिहाज से भी मुफीद जगह है। यहां आएं और ताड़केश्वर धाम न जाएं तो यात्रा को अधूरा माना जाता है। ताड़केश्वर धाम देवदार के जंगलों से घिरा हुआ है। पर्यटक इस स्थल पर शांति और सुकून की भी तलाश में पहुंचते हैं। गर्मियों में यहां का वातावरण मन को आनंदित कर देता है।

टूरिस्ट को भाता है सेंट मेरी चर्च

सेंट मेरी चर्च भी टूरिस्ट को बहुत भाता है। रायल इंजीनियर्स के एहेचबी ह्यूम ने 1895 में इस चर्च को बनाया था। इसे सौ साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है। पुरानी इमारतों को देखने के शौकीन पर्यटक इसके साथ सेल्फी लेना नहीं नहीं भूलते हैं।

लैंसडौन आने के लिए मुफीद समय

आप लैंसडौन बरसात को छोड़ किसी भी मौसम में पहुंच सकते हैं। अक्टूबर से फरवरी का महीना बेहद ही अच्छा समय है यहां आने के लिए। इस दौरान आप गुनगुनी धूप के बीच हिमालय के दिलकश नजारे का दीदार कर सकते हैं। स्नो फाल के शौकीन जनवरी और फरवरी में पर्यटन नगरी और आसपास के क्षेत्रों में बर्फबारी का लुत्फ उठा सकते हैं।

जानिए कैसे पहुंचे लैंसडौन

लैंसडौन कोटद्वार से करीब चालीस किलोमीटर दूर है। यहां तक चौपहिया अथवा दुपहिया वाहन के जरिए करीब एक घंटे में पहुंचा जा सकता है। कोटद्वार तक रेल अथवा बस से पहुंचा जा सकता है। हवाई जहाज से आने वाले यात्रियों को जौलीग्रांट एयरपोर्ट में लैंडिंग के बाद टैक्सी से लैंसडौन आना पड़ेगा।

यह भी पढें- Wildlife Tourism: कोरोनाकाल में वन्यजीव पर्यटन से 11 करोड़ की कमाई, कार्बेट सैलानियों की पहली पसंद

chat bot
आपका साथी