उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेंद्र ने दिया इस्तीफा, जानिए वजह

उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) के कुलपति प्रो. नरेंद्र एस. चौधरी ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राजभवन के सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है। यूटीयू में प्रो. चौधरी दो साल तीन माह बतौर कुलपति रहे।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 01:01 PM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 01:01 PM (IST)
उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेंद्र ने दिया इस्तीफा, जानिए वजह
उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेंद्र ने दिया इस्तीफा।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) के कुलपति प्रो. नरेंद्र एस. चौधरी ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राजभवन के सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है। यूटीयू में प्रो. चौधरी दो साल तीन माह बतौर कुलपति रहे। यूटीयू में प्रो. चौधरी का कार्यकाल काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। उनकी नियुक्ति के कुछ समय बाद ही पीएचडी भर्ती में धांधली और कॉलेजों की संबद्धता को लेकर यूटीयू और शासन के बीच भारी गतिरोध पैदा हो गया था। इन मसलों पर कई बार शासन और यूटीयू आमने-सामने आ गए। अक्टूबर 2020 में प्रो. चौधरी की बुलाई कार्य परिषद को लेकर भी शासन ने सवाल खड़े किए थे। सूत्रों का कहना है कि ऐसे विवादित मुद्दों के कारण वह खुद को असहज महसूस कर रहे थे। 

प्रो. चौधरी को राज्यपाल बेबीरानी मौर्य ने 16 नवंबर 2018 को यूटीयू का कुलपति नामित किया था। तब वह आइआइटी इंदौर में कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग में वरिष्ठ प्रोफेसर थे। यूटीयू में उनकी नियुक्ति कार्यभार ग्रहण करने से तीन वर्ष तक या अधिवर्षता आयु पूरी करने तक थी। हालांकि, इससे पहले ही प्रो. चौधरी ने राजभवन को अपना इस्तीफा सौंप दिया।

नवंबर 2018 से पहले यूटीयू में कुलपति का पद रिक्त होने पर राजभवन ने कार्यवाहक कुलपति के रूप में श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ. यूएस रावत को जिम्मेदारी सौंपी थी। बाद में हाई कोर्ट ने इस नियुक्ति को विश्वविद्यालय परिनियमावली के प्रतिकूल करार देते हुए नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद प्रो. चौधरी की नियुक्ति हुई थी। 

शिक्षाविद थे प्रो. चौधरी   

-आइआइटी मुंबई से बीटेक, एमटेक और पीएचडी की।

-सिंगापुर के सरकारी तकनीकी शिक्षा विश्वविद्यालय में लंबे अरसे तक अध्यापन किया। 

-आइआइटी इंदौर में 10 वर्ष तक कार्यरत रहे।

-देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के बोर्ड में भी शामिल रहे। 

-केंद्र सरकार के साथ विभिन्न देशों के दौरे में शैक्षिक प्रतिनिधित्व किया। 

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