उत्तराखंड: रोडवेज के तीन हजार कर्मचारियों को झटका, इस साल भी काटी गई तन्ख्वाह; जानें- वजह

करीब तीन हजार संविदा व विशेष श्रेणी कर्मचारियों को परिवहन निगम प्रबंधन ने पिछले साल की तरह इस साल भी बड़ा झटका दिया है। मई और जून के वेतन की आस लगा रहे कर्मचारियों को पिछले साल की तरह न्यूनतम वेतन प्रणाली की व्यवस्था पर वेतन दिया जाएगा।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 08:31 AM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 10:32 AM (IST)
उत्तराखंड: रोडवेज के तीन हजार कर्मचारियों को झटका, इस साल भी काटी गई तन्ख्वाह; जानें- वजह
रोडवेज के तीन हजार कर्मचारियों को झटका, इस साल भी काटी गई तन्ख्वाह।

जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोना काल में अपने करीब तीन हजार संविदा व विशेष श्रेणी कर्मचारियों को परिवहन निगम प्रबंधन ने पिछले साल की तरह इस साल भी बड़ा झटका दिया है। मई और जून के वेतन की आस लगा रहे कर्मचारियों को पिछले साल की तरह न्यूनतम वेतन प्रणाली की व्यवस्था पर वेतन दिया जाएगा।

कोरोना संक्रमण की दर दोबारा बढ़ने पर इस साल मई और जून में बस संचालन न होने का हवाला देते हुए प्रबंधन ने श्रम विभाग की ओर से तय वेतन प्रणाली के आधार पर वेतन देने का विकल्प निकाला है। इसमें संविदा और विशेष श्रेणी कार्मिकों को अधिकतम वेतन 9484 रुपये मिल सकेगा। प्रबंधन के फैसले के खिलाफ उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के तेवर तल्ख नजर आ रहे।

कोरोना काल में एक-एक रुपये की बचत करने में जुटे रोडवेज प्रबंधन ने सभी मंडलों और डिपो प्रबंधकों को इसी फार्मूले पर मई और जून का वेतन बनाने के आदेश दिए हैं। रोडवेज महाप्रबंधक (संचालन) दीपक जैन की ओर से जारी आदेश में नियमित कर्मियों को पूरा वेतन और भत्ते देने के आदेश दिए गए हैं। उन्हें सिर्फ वर्दी व प्रदूषण भत्ता नहीं मिलेगा।

वहीं, संविदा और विशेष श्रेणी का वेतन पूर्व में किए औसत किमी को छोड़कर न्यूनतम वेतन प्रणाली पर दिया जाएगा। यह 9484 रुपये तक ही होगा। बताया गया कि यही प्रणाली संविदा तकनीकी व आउटसोर्स कर्मियों पर भी लागू होगी। उपनल, प्रांतीय रक्षक दल के कर्मियों को वास्तविक हाजिरी के आधार पर वेतन दिया जाएगा।

प्रबंधन को बचेंगे करीब डेढ़ करोड़

संविदा व विशेष श्रेणी कर्मियों का वेतन काटने के बाद रोडवेज प्रबंधन को लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की बचत होगी। हर माह रोडवेज को वेतन के लिए करीब 19 करोड़ रुपये की जरूरत होती है। इनमें करीब पांच करोड़ रुपये संविदा व विशेष श्रेणी कर्मियों जबकि बाकी 14 करोड़ रुपये से नियमित कर्मियों को वेतन दिया जाता है। कर्मचारी यूनियन का आरोप है कि 80 फीसद बसों का संचालन संविदा व विशेष श्रेणी, जबकि बाकी का नियमित कर्मी करते हैं। बावजूद इसके प्रबंधन संविदा और विशेष श्रेणी के साथ अन्याय कर रहा।

प्रदेश महामंत्री उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि प्रबंधन का यह फरमान तुगलकी है और यूनियन इसके विरुद्ध आंदोलन करेगी। इस मसले पर शुक्रवार को यूनियन की आपात बैठक बुलाई गई है। प्रबंधन ने हाईकोर्ट में हलफनामा दिया हुआ है कि संविदा और विशेष श्रेणी कर्मचारियों को 'समान काम समान वेतन' प्रणाली पर नियमित की तरह वेतन दिया जा रहा है। कर्मचारियों का तीन माह का वेतन लंबित है और इस स्थिति में भी वेतन आधा मिलेगा तो यह न्याय संगत नहीं है। यूनियन आंदोलन करेगी।'

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